घटनास्थल पर एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी सहित सभी प्रमुख एजेंसियों का पहुंचना बताता है कि सरकार ने किसी भी पहलू को नकारा नहीं है। सोशल मीडिया पर जाएं तो ऐसी हजारों टिप्पणियां है जिनमें षड्यंत्र की बात की जा रही है और उसी तरह के तर्क भी दिए गए हैं।
अहमदाबाद हवाई दुर्घटना की तस्वीरें मजबूत ह्रदय वालों के अंदर भी कुछ समय के लिए भय पैदा कर देती है। दूसरी ओर ट्रेजेडी को अभिव्यक्त करने के लिए शब्द छोटे पड़ गये हैं। विमान का अगला भाग मेडिकल कॉलेज में घुसा हुआ बाहर निकला दिखता है। इससे पता चलता है कि विमान आग का गोला बना अपनी गति से जब हॉस्टल में घुसा होगा कैसी भयानक स्थिति पैदा हुई होगी। चारों तरफ जले हुए मलबों के ढेर बता रहे हैं कि विनाश की अग्नि ने वाकई तांडव मचा दिया जिसकी चपेट में आए मकान, सामान, जीव, पेड़-पौधे सभी धू-धू कर छटपटाते जलते रहे।
अहमदाबाद हवाई अड्डा से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरने वाले एयर इंडिया के एआई171बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के कुछ यात्रियों की ऐसी कहानियां सामने आ रहीं हैं जो हर व्यक्ति के अंदर टीस पैदा करती है। कुछ मिनट पहले की हंसती खेलती सेल्फियां और तस्वीरें सदा के लिए समाप्त हो गई। विमान ने अहमदाबाद के रनवे-23 से 13:39 बजे उड़ान भरी थी। दो पायलट एवं 10 क्रू मेंबर सहित 242 सवारों में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, एक कनाडाई और सात पुर्तगाली नागरिक सवार थे।
उड़ान भरने से लेकर दुर्घटनाग्रस्त होने तक के सामने आए वीडियो से इसे सामान्य दुर्घटना मानने वालों की संख्या अत्यंत कम है। विमान उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही तेजी से नीचे की ओर आने लगा और सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के पास मेघाणीनगर के सिविल अस्पताल और बीजे मेडिकल कॉलेज के पांच मंजिला छात्रावास पर गिर गया। यात्री तो विमान में सवार थे किंतु हॉस्टल में छात्रावास एवं मेडिकल कॉलेज में जान गंवाने वाले छात्र-छात्राओं, डॉक्टरों, उनके परिजनों के लिए भी यह काल बन गया। हॉस्टल के दृश्य बता रहे हैं किसी के प्लेट में एक रोटी पड़ी है तो किसी में थोड़ी सब्जी। चारों ओर कैसी चीख पुकार मची होगी। सेकंड पहले जो स्वाद लेकर खा रहे होंगे, आपस में बातचीत कर रहे होंगे, उन्हें पता भी नहीं होगा कि आखिर हुआ क्या और प्राण पखेरू उड़ गए।
कहां गया है कि मौत के अनेक बहाने होते हैं। मृत्यु तो आनी है चाहे जैसे आए। मृत्यु जीवन का एकमात्र सत्य है और इसके कारण कुछ भी हो सकते हैं। हम मनुष्य के रूप में एक पूरे तंत्र के हिस्से हैं। इसलिए घटनाएं होंगी तो उन्हें वर्तमान तंत्र के अनुसार हर दृष्टि से विश्लेषित किया जाएगा। एक साथ अग्नि का इतना विशाल ज्वालामुखी फट जाए तो कौन बच सकता है। दुर्घटना के समय विमान में 1,26,907 लीटर ईंधन था और उसकी ऊंचाई 625 फीट थी। विमान क्रैश होते ही उसके ईंधन ने आग पकड़ ली। तेज धमाके से उसके परखच्चे उड़ गए और विमान ज्वालामुखी की तरह धधक उठा। घने काले धुएं का गुबार काफी दूर तक देखा गया।
दुर्घटनाग्रस्त विमान के आसपास तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था तो बचाव कार्य में कितना मुश्किल हो गया होगा इसे आसानी से समझा जा सकता है। घटनास्थल पर गर्मी इतनी बढ़ गई कि जानवरों और पक्षियों तक को भागने का मौका नहीं मिला और सभी जलकर खाक हो गए। सड़कों पर बुरी तरह झूलसे हुए शव बिखरे पड़े थे। आपदा मोचन बल के एक सदस्य ने कहा कि, ‘हम पीपीई (PPE) किट पहनकर आए थे। लेकिन तापमान इतना ज्यादा था कि काम करना मुश्किल हो रहा था। हर तरफ मलबा बिखरा हुआ था। इसलिए हमें पहले सुलगते हुए मलबे को हटाना पड़ा।
इस अकल्पनीय भयानक दुर्घटना के कारणों पर निश्चयात्मक टिप्पणी जांच के बाद ही की जा सकती है। घटनास्थल पर एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी सहित सभी प्रमुख एजेंसियों का पहुंचना बताता है कि सरकार ने किसी भी पहलू को नकारा नहीं है। सोशल मीडिया पर जाएं तो ऐसी हजारों टिप्पणियां है जिनमें षड्यंत्र की बात की जा रही है और उसी तरह के तर्क भी दिए गए हैं। विशेषज्ञ इसके कई कारणों की बात कर रहे हैं किंतु उनके बीच भी एकमत नहीं। विमान के टेकऑफ करने के ठीक बाद कॉकपिट में मौजूद पायलटों ने मेडे (Mayday) कॉल दिया था। भारत के उड्डयन नियामक- डीजीसीए के मुताबिक, इस मेडे कॉल के बाद जहाज से और कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
यह साफ नहीं है कि आखिर मेडे कॉल क्यों दी गई। जैसा पहले बताया जा चुका है टेकऑफ के बाद विमान 625 फीट यानी 190 मीटर ऊंचाई तक गया। इसके बाद यह लगातार नीचे जाता दिखा और इसके बाद पेड़ और इमारतों के बीच गिर गया। इसके बाद विमान को आग के गोले में बदलता देखा गया। इसका अर्थ हुआ कि विमान का टेकऑफ सफल रहा था। टेकऑफ के ठीक बाद ही यह ज्यादा ऊंचाई हासिल नहीं कर सका। कहा गया कि एयरक्राफ्ट टेकऑफ के बाद जरूरी थ्रस्ट पैदा नहीं कर पाया और नाकाम हो गया। विमान 190 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने में सफल रहा और इसके बाद नीचे गिरना शुरू हुआ। तो क्या विमान के दोनों इंजन में खराबी आ गई थी? हालांकि, 625 फीट की ऊंचाई पर जाने के बाद इंजन का ‘शटडाउन’ होना, ड्रीमलाइनर विमान तैयार करने वाली कंपनी बोइंग के लिए पहली घटना होगी। विमान के दो अलग-अलग स्वतंत्र यूनिट इंजनों में अगर एक इंजन में कोई तकनीकी दिक्कत आती है तो दूसरा इंजन आसानी से विमान के लोड को संभालकर इसे सुरक्षित लैंड करा सकता है। इंजन अगर कुछ कम ताकत जेनरेट करने से जुड़े संकेत देता है तो पायलटों को इसका अंदाजा हो जाता है और वे टेकऑफ के समय ही जरूरी कदम उठा सकते हैं। अहमदाबाद में 12 जून के 40 डिग्री सेल्सियस ताप का तर्क यूं भी गले नहीं उतरता क्योंकि विमान का इंजन 2000 डिग्री सेल्सियस तक गर्मी को झेल सकता है।
लैंडिंग गियर नीचे होने के आधार पर कहा जा रहा है कि शायद इंजन में खराबी का पहले ही पता चल गया हो। सामान्यतया विमानों में लैंडिंग गियर (विमान के पहिए) करीब 1000 फीट या इससे ज्यादा ऊंचाई पर पहुंचने पर फोल्ड किए जाते हैं। ऐसे में लैंडिंग गियर का फोल्ड न होना किसी विशेष कारण का परिणाम नहीं माना जा सकता। जहां तक पक्षियों से टकराने की बात है तो दिसंबर 2023 में नागरिक उड्डयन मंत्री ने संसद में बताया था कि अहमदाबाद हवाई अड्डा पर पांच साल में 462 बार विमान और पक्षियों को टकराने की घटनाएं दर्ज की गईं जो देश में सबसे ज्यादा थीं। लेकिन इस विमान के पायलट पक्षी टकराने जैसी घटनाओं से निपटने में निपुण थे क्योंकि इसका पूरा प्रशिक्षण दिया जाता है। वीडियो के आधार पर फ्लैप्स यानी दोनों तरफ लगे ‘पंख’ की स्थिति पर सबसे ज्यादा बात हुई है। कहा गया है कि उड़ान भरने के बाद फ्लैप्स को पूरी तरह नहीं खोला/बढ़ाया गया था।
फ्लैप यात्री विमान के टेकऑफ के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह कम गति में भी विमान के उड़ने में मदद करते हैं। इन फ्लैपों को सही ढंग से नहीं खोला गया, तो कोई भी विमान, जिसमें यात्री, उनका सामान और ईंधन पूरी क्षमता से भरा गया हो, उसे टेकऑफ के बाद अपनी उठान बरकरार रखने में दिक्कत आएगी। बोइंग के 787 विमानों में फ्लैपों को लेकर एक वॉर्निंग सिस्टम लगा होता है, जो कि टेकऑफ के पहले ही सिकुड़े हुए पंखों पर पायलटों को अलर्ट कर देता है। वीडियो से इसकी पुष्टि नहीं हो रही है कि फ्लैप पूरी तरह खुले थे या नहीं। अगर इन्हें पूरी तरह नहीं खोला गया था तो यह काफी अजीब बात थी और यह पायलट की चूक हो सकती है
खैर,ब्लैक बॉक्स के विश्लेषण से दुर्घटना का कारण जाना जा सकेगा। किंतु उन कारणों के पीछे के कारण का भी पता चल जाए, इसके बारे में निश्चयात्मक रूप से कहना कठिन है। यह एक सर्वमान्य सत्य है कि किसी भी घटना और दुर्घटना को टाला नहीं जा सकता। मनुष्य निर्मित जितनी व्यवस्थाएं हैं उन सबकी सीमाएं ऐसी घटनाएं स्पष्ट कर देती हैं। हम एयर इंडिया या भारत में विमान परिचालन के अनेक कमियों की ओर इशारा कर सकते हैं। किंतु ऐसी कोई व्यवस्था या परिचालन तंत्र नहीं जो दुर्घटना न होने की गारंटी दे सके। बोइंग दुनिया की जानी-मानी कंपनी और कई हजार किलोमीटर उड़ान भरने के प्रशिक्षित पायलट के रहते दुर्घटना हुई।
हम हर तरह से सुरक्षित व्यवस्था करने की कोशिश करें। किंतु न भूलें कि मनुष्य के रूप में हमारी सीमाएं बिल्कुल स्पष्ट हो जाती हैं। मनुष्य की आयु निश्चित होने की बात हमें स्वीकार करनी चाहिए। नियति और कर्म फल को आप जो भी शब्द दे दीजिए, अंततः मुख्य निर्धारक यही है। आखिर विमान मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से ही क्यों टकराया? निष्कर्ष यही है कि हम जितने क्षण जीवित रहें, सतर्कता बरतें कि एक मनुष्य के रूप में हम पैदा क्यों हुए हैं और मृत्यु तक हमारे दायित्व क्या हैं। जब तक जिए अच्छे कर्म करें और समाज की भलाई में काम आए।
-अवधेश कुमार