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अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई का संदेश

अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई का संदेश

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग
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आत्मीय स्वजन,
तिथि के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर और तारीख के अनुसार 19 अगस्त को मेरा जन्मदिन है, मैंने अपने जीवन में जो भी कुछ किया है या कर रहा हूं उसमें मेरा अपना कुछ भी नहीं है, यह सब परमपिता परमात्मा के परम आशीर्वाद से उसके माध्यम से हो रहा है और करवाया जा रहा है. इस सेवा कार्य में आप सब की शुभकामनाएं, आशीर्वाद और आपका आत्मीय प्रेम जुड़ा हुआ है.
मेरा आपसे अनुरोध है कि आप मेरे जन्मदिन पर बधाई देने की जगह परमपिता परमात्मा से अपने-अपने सदगुरुदेव से प्रार्थना करें कि मेरा संपूर्ण जीवन अंतिम सांस तक मानवता की सेवा को समर्पित रहे. लेश मात्र भी लोभ, लालच, अहंकार, करता भाव मुझे छू न पाए. सत्य नीति मार्ग पर चलकर, स्वदोष दर्शन के साथ निदान करता रहूं, पर निंदा से बचूं और आलोचकों के सदा मेरा व्यवहार कल्याण मित्र की भांति रहे. आप सब का साथ आश्रम के साथ रहे, सर पर हाथ रहे मानवता के कल्याण में, जो भी कुछ हो सके उसके लिए सदा प्रयत्नशील रहूं!

आप मुझे ऐसा आशीष दें कि जीवन में परमात्मा हमेशा सद्कार्य, परोपकारी कार्य इस काया से कराए जो मुझे सदैव जीवित रखें. मुझे आयुष्य से नहीं कर्मों से जीवित रहना है. अभी तक जीवन में जो भी कुछ भूलचुक, गलतियां हुई और क्रोध वश अनेक साथियों के दिल को दुखाया है, कहीं ना कहीं उससे मुझे भी शर्मिंदगी उठानी पड़ी, उन सबके लिए मैं हृदय से आप सभी से क्षमा प्रार्थना करता हूं और आपसे यह भी निवेदन करता हूं कि आप मेरे न रहने पर अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम स्थित आचार्य श्रीमद् विजय रत्न सुंदर सुरीश्वर औषधि उद्यान में निर्मित सत्यांश सेवा भूमि जहां आश्रम परिवार की उपस्थिति में पार्थिव देह का अंतिम संस्कार होगा पर जरूर आए और सेवा के संकल्प को दोहराएं. शवयात्रा, शोकसभा, बैठक आदि में मेरा कोई विश्वास नहीं है. मैं नहीं चाहता हूं कि मेरी मृत्यु के बाद यह सब किया जाए. मुझे मोक्ष और स्वर्ग की भी कामना नहीं है. मैं पुनः श्रेष्ठ मानव जीवन चाहता हूं ताकि और अधिक से अधिक मानवता की सेवा कर सकूं.
वर्तमान में अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों से किसी भी रूप में संतुष्ट नहीं हूं. आश्रम परिवार को बहुत सारी सुविधाओं की आवश्यकता है. रात-दिन मेरा चिंतन चलता रहता है कि किस प्रकार से मनुष्य सेवा को और अधिक श्रेष्ठतम बनाया जा सके. संपूर्ण विश्व में किस प्रकार हम- आप सबके सहयोग से सनातन धर्म की इस सेवा भूमि को और अधिक ऊर्जा दे सके. यह हम सबके लिए विचारणीय होना ही चाहिए.

मेरा लक्ष्य है कि यह आश्रम विश्व में सनातन का एक उदाहरण बने. मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी अनेक प्रलोभनों को जो गैर सनातनियों और अन्य अनेक स्तर पर दिए गए, आज तक मैंने स्वीकार नहीं किए है और अपनी अंतिम सांस तक स्वीकार नहीं करूंगा। सेवाधाम का कार्य पूर्ण रूप से पारदर्शी है. आपका ₹1 सवा रुपए में चले यह हमारा प्रयत्न बना रहता है.
मेरी जीवन-संगिनी और बेटियां विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को तिलांजलि देकर मेरे साथ आश्रम में रहकर अपनी क्षमता से अधिक सहयोग करती हैं. हालांकि मैं उनके प्रति अपने पारिवारिक कर्तव्यों का निर्वाह नहीं कर पा रहा हूं. कहीं ना कहीं मन के किसी कोने में इसकी कमी मुझे निरंतर अखरती है, लेकिन कांता और मोनिका, गोरी ने विपरीत से विपरीत परिस्थितियों को भी मेरे साथ सहा है, साथ दिया है, दे रही है, यह उनकी महानता है.

हालांकि कभी-कभी उनके प्रति आश्रम की अनेक समस्याओं के कारण क्रोधवश मेरा व्यवहार भी असामान्य हो जाता है, फिर भी वह कभी शिकायत नहीं करती, यह उनकी और अधिक महानता है, अन्यथा आज के इस वातावरण में पारिवारिक माहौल से हम सब परिचित हैं. मेरा छोटा भाई डॉ. सचिन, बहु अनीता, भतीजा पार्थ, भाई समीर की बेटी सलोनी सब कहीं ना कहीं अपने स्तर पर लगातार सहयोग करते हैं, जो आश्रम के सेवा कार्यों को आसान बनाता है.

मृत्यु जीवन का सत्य है इसको दृष्टिगत रखते हुए मेरे जन्मदिन पर मेरा आपसे निवेदन है कि मेरी मृत्यु के बाद कहीं भी कोई भी किसी भी स्तर पर शोक सभा का आयोजन न करें, शोकांजलि ना दें, यदि आपको मुझसे प्यार है, प्रेम है, आत्मीयता है और आश्रम के सेवा कार्यों को आप पसंद करते हैं, मुझ में अच्छा-बुरा जो भी आप देखते हैं, स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हुए मुझे जीवितांजलि अर्पित करें, यह मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष होगा.

आपकी जीवितांजलि आप लिखित में भेज सकते हैं, ईमेल कर सकते है, व्हाट्सएप पर भेज सकते हैं और प्रत्यक्ष रूप से यदि आश्रम में आकर मुझसे मिलकर जीवितांजलि दें, कुछ समय मेरे साथ व्यतीत करें तो मुझे और प्रसन्नता होगी. इससे मेरे आगामी शेष जीवन को मार्गदर्शन प्राप्त होगा.
मेरा आपसे यह भी निवेदन है कि आप हमेशा आश्रम के सेवा कार्यों को जिस भी प्रकार हो सहयोग करते रहें और सेवा अवरुद्ध न हो, यह भी संकल्पित हो क्योंकि वर्तमान में आश्रम का आर्थिक पक्ष किसी भी रूप में मजबूत नहीं है, नित्य अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
आप सबके लिए स्वास्थ्य, समृद्धता के लिए मंगलकामनाएं…
आपका अपना आत्मीय भाई,
सुधीर भाई

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