भारत सरकार द्वारा किए जा रहे सतत सुधार एवं परिवर्तन से देश की दशा बदलती जा रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को सिद्धी में बदलने हेतु दूरगामी नीतियों के अंतर्गत अभुतपूर्व उल्लेखनीय योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है।
नीति आयोग के प्रारूप और कागजातों के अनुसार 2047 का विकसित भारत एक ऐसा देश होगा जो सभी नागरिकों के जीवन की उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा। जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और स्वच्छ ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच होगी। इसके साथ ही यह नवाचार प्रेरित अर्थव्यवस्था का निर्माण करेगा, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो और अंतरराष्ट्रीय वैल्यू चेन में एक अहम किरदार हो।
आर्थिक दृष्टि से यह रोडमैप भारत को 2024 में लगभग 3.7 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था से 2047 तक 30 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखता है, जिसमें प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,600 से बढ़कर 18,000 से अधिक हो जाएगी। इस छलांग के लिए अगले दो दशकों तक 8 प्रतिशत या उससे अधिक की निरंतर जीडीपी वृद्धि दर चाहिए, जिसे मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक आधार, जीवंत निजी क्षेत्र और सार्वजनिक निवेश के सहयोग से प्राप्त किया जाएगा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार कहा है कि विकसित भारत केवल एक लक्ष्य नहीं है बल्कि यह एक सामूहिक संकल्प है, जिसके लिए सरकार, उद्योग, नागरिक, समाज और युवाओं की समान भागीदारी आवश्यक है।
विकसित भारत के लिए मोदी सरकार की कार्ययोजना
भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक केंद्रीय मॉडल है, इसका बहु-क्षेत्रीय और मिशन-उन्मुख शासन मॉडल। मोदी सरकार का दृष्टिकोण दीर्घकालिक रणनीतिक योजना को वास्तविक समय में क्रियान्वयन से जोड़ता है, जिससे विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रमुख क्षेत्रों में परिवर्तन लाया जा रहा है।
डिजिटल परिवर्तन और एआई-आधारित शासन
भारत ने इंडिया स्टैक जैसे नवाचारों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है, जिसमें आधार, यूपीआई, डिजिलॉकर और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन शामिल हैं। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स छोटे विक्रेताओं के लिए ई-कॉमर्स को लोकतांत्रिक बना रहा है। राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में सुरक्षित और नैतिक डेटा उपयोग की नींव रख रहा है। 45 करोड़ से अधिक जन धन खाते खोलने के साथ, सरकार ने 2014 से अब तक 44 लाख करोड़ से अधिक की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि पहुंचाई है, जिससे वित्तीय समावेशन सुनिश्चित हुआ है और भ्रष्टाचार में कमी आई है। इसके साथ ही राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता मिशन के अंतर्गत एआई-आधारित सेवाओं को कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और न्याय जैसे क्षेत्रों में तेजी से विस्तार दिया जा रहा है।
विकास का इंजन: अधोसंरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर)
सरकार की यह मान्यता है कि अधोसंरचना विकास की रीढ़ है और यह 111 लाख करोड़ की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के शुभारम्भ से स्पष्ट होता है। इसे पीएम गतिशक्ति प्लेटफॉर्म द्वारा सशक्त किया गया है, जो परिवहन, लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा और आईटी आधारभूत ढांचे को एकीकृत करता है ताकि परियोजनाओं में देरी को कम किया जा सके और समन्वित विकास हो सके। देश में तेजी से बदलाव हो रहा है, 75 वंदे भारत ट्रेनों का संचालन, 100 नए हवाई अड्डों का निर्माण और 11 औद्योगिक गलियारों की स्थापना की जा रही है, जिससे विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है। इन आधारभूत ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से लाखों रोजगार सृजित हो रहे हैं, लॉजिस्टिक्स प्रतिस्पर्धा में सुधार हो रहा है और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया जा रहा है।
हरित ऊर्जा और सतत विकास
भारत सतत विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर साहसिक कदम उठा रहा है। 19,744 करोड़ के बजट वाली राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है। वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य तय समय पर आगे बढ़ रहा है, जिसे सौर, पवन और जैव ऊर्जा क्षेत्रों में बड़े निवेश का समर्थन प्राप्त है। भारत आज नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश बन चुका है, जो जलवायु कार्रवाई में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को दर्शाता है। ये प्रयास न केवल ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करते हैं बल्कि 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं।
निर्माण क्षेत्र और आत्मनिर्भर भारत
1.97 लाख करोड़ की कुल लागत वाली उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं ने 14 प्रमुख क्षेत्रों में घरेलू निर्माण को जबरदस्त बढ़ावा दिया है और आयात पर निर्भरता कम की है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन चुका है और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात ने रिकॉर्ड स्तर प्राप्त किया है। रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आया है। वित्त वर्ष 2024 में रक्षा निर्यात 21,000 करोड़ के पार पहुंच गया, जो स्थानीयकरण और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने वाले नीति सुधारों का परिणाम है। ये उपलब्धियां आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को दर्शाती हैं, जिसका उद्देश्य भारत को एक आत्मनिर्भर वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है।
शहरी विकास और एग्रीटेक भी समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए उतने ही आवश्यक हैं। 2030 तक शहरीकरण के 40 प्रतिशत से अधिक होने के अनुमान के साथ, स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत योजना और स्वच्छ भारत मिशन जैसे कार्यक्रम शहरी आधारभूत ढांचे, गतिशीलता और स्वच्छता में व्यापक परिवर्तन ला रहे हैं, जिनमें हरित और डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एग्रीटेक नवाचारों और वैल्यू चेन सुदृढ़ीकरण के माध्यम से पुनर्जीवित किया जा रहा है। ई-नाम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म, किसान उत्पादक संगठनों को समर्थन और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएं किसानों को सशक्त बना रही हैं। सिंचाई, पोस्ट-हार्वेस्ट तकनीक से उत्पादकता में वृद्धि हो रही है।
सेमीकंडक्टर, रक्षा, अंतरिक्ष आर क्वांटम तकनीक जैसे रणनीतिक क्षेत्र वैश्विक नवाचार दौड़ में भारत की अगुवाई को परिभाषित कर रहे हैं। 76,000 करोड़ के सेमिकॉन इंडिया कार्यक्रम, देशी रक्षा प्लेटफॉर्म, निजी अंतरिक्ष क्षेत्र का विस्तार और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन जैसी प्रमुख पहलें भारत की तकनीकी सम्प्रभुता को सशक्त बना रही हैं। कुल मिलाकर ये फोकस क्षेत्र 2047 तक भविष्य के लिए समावेशी विकसित भारत की संरचना का आधार बनाते हैं।
रणनीतिक कार्यान्वयन और नीतिगत प्रभाव
विकसित भारत 2047 की परिकल्पना को साकार करने के लिए केवल महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं बल्कि इसके लिए रणनीतिक क्रियान्वयन, कठोर मूल्यांकन और विभिन्न क्षेत्रों के बीच निर्बाध समन्वय आवश्यक है। मोदी सरकार ने एक ऐसा कार्यान्वयन मॉडल संस्थागत रूप से स्थापित किया है, जहां प्रत्येक सुधार राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होता है और राजकोषीय रूप से सुदृढ़ तथा परिणाम आधारित ढांचे पर आधारित होता है।
इसका मूल है नीति समेकन, जो प्रधानमंत्री गति शक्ति, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन और वर्षिक बजट प्राथमिकताओं जैसे परिवर्तनकारी अभियानों के अंतर्गत क्रियान्वित हो रहा है। ये सभी एक एकीकृत नीतिगत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करते हैं, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी, शासन और सम्पत्ति मुद्रीकरण को आपस में जोड़ता है। उदाहरण के लिए, पीएम गति शक्ति एक मंच पर 16 से अधिक मंत्रालयों को एकजुट करता है ताकि इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की रीयल टाइम योजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके, जिससे गति और जवाबदेही में सुधार होता है।
प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करने हेतु ‘प्रगति’ और ‘दृष्टि’ जैसे रीयल टाइम गवर्नेंस मैकेनिज्म लागू किए गए हैं, जो बाधाओं की पहचान, समाधान और उच्च-स्तरीय पर्यवेक्षण को सक्षम बनाते हैं। डैशबोर्ड और निर्णय-सहायक प्रणाली मंत्रालयों और राज्यों में पारदर्शी, डेटा आधारित प्रशासन को सशक्त बनाते हैं। यह व्यवस्था परिणाम केंद्रित दृष्टिकोण से और भी मजबूत होती है, जहां अब इनपुट से अधिक प्रभाव पर ध्यान दिया जा रहा है। यह प्रदर्शन और जवाबदेही की संस्कृति शासन को एक डिलीवरी-फोकस्ड इंजन में बदल रही है, जिससे विकसित भारत मात्र एक सपना नहीं बल्कि मापनीय, समावेशी और जन-केंद्रित राष्ट्रीय परिवर्तन बन रहा है।
भारत का विकसित राष्ट्र बनने का मार्ग केवल नीतियों और कार्यक्रमों से नहीं बल्कि एक गहन राष्ट्रीय संकल्प से प्रेरित है। मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत रोडमैप सशक्त नागरिकों, मजबूत संस्थाओं, आधुनिक अवसंरचना और वैश्विक एकीकरण की दूरदर्शी अवधारणा पर आधारित है। समर्थ भारत कोई दूर का लक्ष्य नहीं बल्कि वह नींव है जो अनुशासन, संकल्प और दूरदृष्टि के साथ आज तैयार की जा रही है ताकि 2047 तक विकसित भारत का सपना पूर्ण रूप से साकार हो सके।
-शिवेश प्रताप