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नेपाल में डीप स्टेट की भूमिका

नेपाल में डीप स्टेट की भूमिका

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, देश-विदेश
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नेपाल की संसद को आग लगा दी, पीएम ओली का इस्तीफ़ा हो गया, वित्त मंत्री और पूर्व मंत्री को पीट दिया। पूरा नेपाल आज उपद्रवियों की गिरफ्त में है। आपको पता है इनको ताकत कहाँ से मिल रही है? नेपाल सरकार ने सोशल मिडिया पर बैन लगाया था, उसके बाद ये सब हुआ है। भारत के चारों तरफ डीप स्टेट ने अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और अब नेपाल को भी बर्बाद कर दिया है। इस गणित को समझिए। राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार गिराने का दावा किया है।

क्या मोदी भारत को डीप स्टेट का शिकार होने से रोक पाएंगे?

डीप स्टेट को लेकर जो बहस चल रही है, उसका केंद्र यही है कि यह एक ऐसी अदृश्य ताक़त है जो किसी भी देश की आंतरिक राजनीति, उसकी संस्थाओं और जनता की सोच को प्रभावित करके सत्ता के खेल में हस्तक्षेप करती है। नेपाल की मौजूदा स्थिति को इसी फ्रेम में देखा जा रहा है। संसद में आग लगना, प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े की नौबत आना, वित्त मंत्री और पूर्व मंत्रियों पर हमले – यह सब किसी सामान्य जनाक्रोश का परिणाम नहीं लगता, बल्कि सुनियोजित अराजकता जैसी तस्वीर पेश करता है।

Nepal Bans 26 Unregistered Social Media Sites, Including Facebook,  WhatsApp, Instagram

सोशल मीडिया डीप स्टेट का सबसे ताक़तवर हथियार

खास बात यह है कि नेपाल ने हाल ही में सोशल मीडिया पर बैन लगाया था और ठीक उसके बाद यह उथल-पुथल शुरू हुई। यह संयोग नहीं हो सकता, बल्कि यह बताता है कि सोशल मीडिया आज डीप स्टेट का सबसे ताक़तवर हथियार है, जिसके ज़रिए अफवाह, दुष्प्रचार और भीड़ को भड़काने की ताक़त पैदा की जाती है।

भारत के चारों ओर देखें तो तस्वीर और भी साफ़ होती है। अफ़ग़ानिस्तान को आतंक और अमेरिकी निकासी के बाद अराजकता में झोंक दिया गया। श्रीलंका में आर्थिक संकट को जनता की नाराज़गी के साथ जोड़कर सत्ता परिवर्तन कराया गया। बांग्लादेश में चुनावों से ठीक पहले हिंसा भड़काई गई और म्यांमार में सेना और लोकतांत्रिक गुटों को टकराव में उलझा दिया गया। और अब नेपाल, जो भारत का सबसे करीबी और सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ पड़ोसी है, उसी तर्ज़ पर अस्थिर किया जा रहा है। यह कोई इत्तेफ़ाक़ नहीं है, बल्कि डीप स्टेट का वही पैटर्न है—देशों को अस्थिर करके उन्हें बाहरी ताक़तों पर निर्भर बना देना।

भारत के लिए यह स्थिति बेहद संवेदनशील है। अगर नेपाल में अस्थिरता गहराती है तो उसका सीधा असर भारत की सुरक्षा, सीमा प्रबंधन और आंतरिक राजनीति पर पड़ेगा। भारत के तराई क्षेत्र और बिहार-उत्तर प्रदेश तक इसका असर फैल सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच खुली सीमा है। यही वह बिंदु है जहाँ डीप स्टेट की गणना भारत तक पहुँचती है—पहले पड़ोस को जलाओ, फिर भारत को घेरो।

What are the 26 social media apps banned in Nepal that have led to violent  clashes, Gen Z-led protests? Check full list | Mint

राहुल गांधी का यह बयान कि वे बीजेपी सरकार गिरा देंगे, डीप स्टेट की रणनीति से जुड़ा हुआ लगता है। चाहे अनजाने में हो या जानबूझकर, इस तरह की बयानबाज़ी उसी एजेंडे को मज़बूत करती है जिसका मक़सद भारत में अस्थिरता पैदा करना है। भारत के भीतर लोकतांत्रिक मतभेद और विपक्ष की राजनीति स्वाभाविक है, लेकिन जब ये बयान वैश्विक डीप स्टेट की चालों के साथ मेल खाने लगें, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल बन जाता है।

अब बड़ा सवाल यही है कि क्या मोदी सरकार भारत को इस जाल में फँसने से बचा पाएगी? नरेंद्र मोदी ने पिछले एक दशक में कई बार दिखाया है कि वे संकटों को अवसर में बदलने की कोशिश करते हैं। लेकिन डीप स्टेट का खतरा सामान्य राजनीतिक विरोधियों से कहीं ज़्यादा गहरा है। यह एक अदृश्य युद्ध है जिसमें सोशल मीडिया, अंतरराष्ट्रीय फंडिंग, विदेशी NGOs, मीडिया नैरेटिव और साइबर हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है। भारत को इससे बचाने के लिए सिर्फ़ सख़्त कानून नहीं, बल्कि मज़बूत जनचेतना, डिजिटल सुरक्षा, और पड़ोस के देशों के साथ तालमेल की भी ज़रूरत है।

भारत यदि नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान और म्यांमार में स्थिरता को मज़बूत करने में सफल रहता है, तो डीप स्टेट की सबसे बड़ी साज़िश ध्वस्त हो सकती है। लेकिन अगर भारत अपनी ही आंतरिक राजनीति में उलझ गया, तो यही डीप स्टेट भारत को भी उसी अराजकता की आग में धकेल देगा, जो आज नेपाल को जला रही है। इसलिए यह सिर्फ़ सवाल नहीं है कि मोदी भारत को डीप स्टेट का शिकार होने से रोक पाएंगे या नहीं, बल्कि यह भी कि क्या भारत की पूरी राजनीतिक बिरादरी, जनता और संस्थाएँ इस अदृश्य दुश्मन के खिलाफ़ एकजुट होकर खड़ी हो पाएंगी या नहीं।

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Tags: #DeepState #ConspiracyTheory #PoliticalTruth #HiddenAgenda #GovernmentSecrets #ShadowGovernment#hindivivekmagazine #world #reach #read#nepal #riots #violence

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