आज समाज और राष्ट्र का स्वरूप बदलता जा रहा है जिसमें तकनीक आधारित अर्थव्यवस्था और समाज का पूर्ण विकास हो रहा है। हर नागरिक अपने आप को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और सरकार देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कार्य कर रही है। उद्यमिता और रोजगार के लिए कौशल की गुणवत्ता को बढ़ाने के प्रधानमंत्री स्किल विकास योजना का कार्यान्वयन किया गया। ऐसे समय में हमारा ध्यान राष्ट्ररुपी माला की कड़ी कहे जाने वाले जनजातीय समाज की ओर जाता है।
आज पूरा वैश्विक समाज विश्व आदिवासी दिवस मना रहा है, ऐसे समय में हम अपने जनजातीय समाज के लिए कितने प्रेरक उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं और उनके विकास के लिए प्रयासरत हैं तथा कैसे जनजातीय संरचनात्मक ढांचे को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा रहा है, इस पर सभी का ध्यान आकृष्ट करना आवश्यक है।
हालांकि जनजातियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में कई प्रमुख समस्याएं हैं, जनजातीय विकास एवं उनके विस्थापन के फलस्वरुप जनजातियों की युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक विरासत से दूर होती जा रही है, परिणामस्वरुप जनजातीय समाज के मध्य अपनी पहचान का संकट उत्पन्न हो रहा है। महाराष्ट्र की वारली जनजाति द्वारा जटिल भित्ति चित्रकलाओं में निहित सांस्कृतिक विरासत को जनजातीय युवाओं द्वारा अनदेखी की जा रही है, जो एक नयी गंभीर संस्कृतिक चिंता का विषय है। इसी प्रकार जनजातीय वाद्य कलाओं, स्थानीय संगीत परंपरा, पारंपरिक चित्र विन्यास, आयुर्वेदिक ज्ञान प्रणाली के ज्ञान को संरक्षित करना भी एक चुनौती है।
जनजातीय समाज से जुड़े तथ्यों का अध्ययन करने पर स्पष्ट होता है कि भारत में कुल जनसंख्या में जनजाति जनसंख्या की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत है, सन् 2011 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली जनजातियों की जनसंख्या 11.3% तथा 2.8 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या शहरों में निवास करती है। सन् 1961 की जनगणना के अनुसार जनजातीय साक्षरता दर 8.5 प्रतिशत थी जिसमें पुरुष साक्षरता दर 13 प्रतिशत तथा महिला साक्षरता दर 3 प्रतिशत थी, इसी प्रकार से जब हम सन 2011 की जनगणना पर प्रकाश डालते हैं तो जनजाति साक्षरता दर 63.1 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, जिसमें पुरुष साक्षरता दर कुल जनजातीय जनसंख्या का 71 प्रतिशत तथा महिला साक्षरता दर का 54 प्रतिशत थी। जनजाति क्षेत्रों में विकास एवं शिक्षा के विस्तार के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की स्थापना 1997-1998 में प्रारंभ की गई थी, इस समय देश में कुल एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों की स्वीकृति संख्या 722 है जिसमें से कार्यरत स्कूलों की संख्या 479 है। इन एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में कुल 138336 छात्रों को शिक्षा दी जा रही है जिसमें से पुरुष छात्रों की संख्या 68199 तथा महिला छात्रों की संख्या 70137 है। एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के माध्यम से जनजातीय युवाओं को साक्षर बनाकर मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।
सरकार आज अति पिछड़े जनजाति समाज को चिन्हित कर रही है, देश के 17 राज्यों और एक संघ राज्य क्षेत्र अंडमान निकोबार में कृषि हेतु पूर्व तकनीक का इस्तेमाल, कम साक्षरता दर, घट रही आबादी के आधार पर 75 आदिम जनजाति समूहों की पहचान पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप (पीवीटीजी) में की गई है। भारत में पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप की पहचान के अंतर्गत सन् 2001 में ऐसी कुल 75 जनजातीय समूहों की पहचान की गई थी, जिनकी जनसंख्या उस समय 27 लाख 60 हजार थी। भारत में उड़ीसा राज्य में पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप के अंतर्गत निवास करने वाले जनजातीय समूहों की संख्या सबसे अधिक 15 थी, वहीं आंध्र प्रदेश में ऐसे समूहों की संख्या 12 तथा बिहार और झारखंड में क्रमशः ऐसे समूहों की संख्या 9 थी। देश में सबसे बड़े जनजातीय जनसंख्या वाले राज्य मध्य प्रदेश में पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राईबल ग्रुप समूहों की संख्या 7 थी। पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राईबल ग्रुप के जनजातीय लोगों का फैलाव वर्तमान में 220 जिलो तथा 22544 ग्रामों में हैं।
भारत सरकार द्वारा जनजातियों के कल्याण एवं विकास के लिए अनेक राष्ट्रीयकृत योजना का क्रियान्वयन किया गया
है जिसमें देश के 17 केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा 25 राष्ट्रीयकृत योजनाओं को अंगीकार किया गया है। केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री जी के अथक प्रयासों से इस वर्ष को बिरसा मुंडा जी के जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव वर्ष मनाने का संकल्प लिया गया, जिसके लिए नवम्बर 2024 से नवम्बर 2025 तक के समय को चुना गया है। इसके पहले बिरसा मुंडा जी की जयंती के दिन सन् 2022 में जनजाति गौरव दिवस घोषित किया गया था।
देश में जनजातियों के समग्र विकास के लिए धरती आबा समग्र उत्कर्ष ग्राम योजना के लिए 79150 करोड़ की लागत से परियोजना का संचालन किया जा रहा है। जनजातियों के स्वास्थ्य के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है जिसमें स्किल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन, मिशन इंद्रधनुष और निक्षय मित्र योजना के माध्यम से `जहां स्किल सेल एनीमिया मिशन के अंतर्गत जनजाति समुदाय में शरीर में होने वाली रक्त की कमी को नियंत्रित करने का कार्य किया जा रहा है तो वही निक्षय मित्र परियोजना के अन्तर्गत टीवी की पूर्ण रोकथाम पर जोर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त जनजातियों के जीवन स्तर को ऊपर उठने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में सड़क, स्वास्थ्य, संचार एवं स्थाई अजीविका के विकास का कार्य किया जा रहा है।
भारत सरकार जनजाति कार्य मंत्रालय के द्वारा वन-धन योजना का प्रारंभ किया गया है जिससे जनजाति आजीविका में सुधार लाया जा सके। देश में जनजाति विकास को लक्ष्य करके अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है परंतु इन योजनाओं के विपरीत जनजाति समाज के मध्य कुछ प्रमुख समस्याएं अभी भी विद्यमान है जिनमें स्ट्रेटजिक हेमलेट योजना के दौरान विस्थापित हुए 50 हजार गोंड जनजातियों को अभी भी अपने पहचान का संकट दिखाई दे रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा में थोट्टीपम्पु एवं कोया जनजाति की स्थिति विस्थापन के बाद मजदूरों की हो गई है, ऐसे में जनजाति विकास और विस्थापन को लेकर सरकार को एक ठोस रणनीति अपनाने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री जन मन अभियान योजना के अंतर्गत जनजातीय मंत्रालय से जुड़े महाअभियान के द्वारा पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप के बहुल क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की संतृप्त को सुनिश्चित करने के लिए इस महाअभियान की शुरुआत सितंबर 2024 में हुई। इस योजना के माध्यम से भारत में निवास कर रही पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल के बहुल क्षेत्र के राज्यों के 194 जिलों के 28700 बस्तियों के 44.60 लाख व्यक्तियों तक सरकारी योजनाओं के विषय में जागरूकता फैलाना मूल उद्देश्य है।
पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल के परिवारों को पहचान की समस्या से निजात दिलाने के लिए आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र और जनधन खाते जैसे आवश्यक कागजात तैयार करना, इस योजना का महत्वपूर्ण लक्ष्य है। इस योजना के अंतर्गत पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल के क्षेत्र में प्राथमिक संसाधनों को मुहैया कराने के लक्ष्य के अंतर्गत स्थाई आवास की व्यवस्था प्रमुख है जिसमें 2264 पक्के मकान उपलब्ध कराए जाएंगे तथा इसी योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा की बेहतर देखभाल के लिए 578 मोबाइल मेडिकल यूनिट तैयार किए गए हैं। जल संकट की समस्या से जूझ रहे जनजाति क्षेत्र में 290676 जल नल कनेक्शन का लक्ष्य इस योजना के अंतर्गत प्रमुख है। जनजातीय समाज को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए 2746.17 किलोमीटर तक सड़क निर्माण का लक्ष्य प्रधानमंत्री जनमन महाअभियान के अंतर्गत रखा गया है। जनजातीय क्षेत्रों में बिजली की उत्तम व्यवस्था के लिए सौर ऊर्जा योजना के अंतर्गत 5067 घरों में विद्युतीकरण का लक्ष्य निश्चित किया गया है।
प्रधानमंत्री जनमन योजना के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में सार्थक पहल से उनकी प्रमुख समस्याओं का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा, जिसमें जल संकट, बिजली संकट, स्थाई आवास की समस्या, स्वास्थ्य की समस्या, संचार, सड़क की समस्या को प्रमुखता से निस्तारित किया जाना संभव है।
-डॉ. रामेश्वर मिश्र