वामपंथी-जिहादी गठबंधन के प्रतिनिधि ज़ोहरान ममदानी के न्यूयॉर्क के महापौर पद पर चुने जाने से दुनिया भर की वोक लॉबी खुशी से झूम उठी है। लगता है जैसे शैतानी लोक का राजकुमार (चूंकि वामपंथी लोग ईश्वर को नहीं मानते, इसलिए उन्हें देवलोक का नहीं कहा जा सकता; और वे खुलकर स्वयं को सेक्युलर/नास्तिक कहते हैं, इसलिए ‘शैतानी लोक का’ कहना उचित लगता है) यहां पृथ्वी पर प्रकट हो गया है और कम्युनिस्ट यूटोपिया अब दुनिया में आ ही गया है, इस अंदाज़ में लोग बेकाबू होकर नाचने लगे हैं। एक शहर का महापौर मानो पूरी दुनिया का सम्राट हो गया है और उसके सामने ईश्वर, देश, धर्म जैसे मूल्यों को मानने वाले राष्ट्रवादी, देशभक्त लोग धूल चाटने वाले हैं, ऐसा सब हंगामा है।
इस हड़बड़ी में वास्तविकता का भान न खोए, बने रहने के लिए यह समझना ज़रूरी है कि आख़िर हुआ क्या है। न्यूयॉर्क डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ है और यह पार्टी अतिवादी वामपंथ की ओर झुकाव रखती है, इसलिए वह अमेरिका की कम्युनिस्ट पार्टी बन गई है। पश्चिमी सभ्यता को नष्ट करने के लिए अनियंत्रित अप्रवासन को प्रोत्साहन देना सांस्कृतिक मार्क्सवादी/वोक लॉबी का खुला हुआ एजेंडा है। इसके तहत अवैध अप्रवासियों को भी वोट डालने में सक्षम बनाने के लिए इस चुनाव में बिना किसी पहचान पत्र के वोट डालने की छूट दी गई। अमीरों पर कर लगाकर गरीबों को सब कुछ मुफ्त देने का, जो प्रयोग दुनिया में बार-बार विफल हो चुका है, उसकी फिर से गारंटी देकर लोगों को बहलाने में ममदानी सफल रहे हैं। ऐसे प्रयोगों का जो अब तक नतीजा रहा है, वही फिर से होना तय है। मार्गरेट थैचर ने कहा था, “समाजवाद की समस्या यह है कि आख़िरकार दूसरे लोगों का पैसा खत्म हो जाता है।”
अनुभव से सीख चुके, संपत्ति का सृजन करने वाले और रोज़गार देने की क्षमता रखने वाले लोगों ने अपने पैसे खत्म होने का इंतज़ार नहीं किया और ममदानी के चुने जाते ही न्यूयॉर्क छोड़कर जाना शुरू कर दिया है। इसलिए वामपंथियों का यह उत्साह अल्पकालिक ही रहने वाला है, यह कहने के लिए किसी ज्योतिषी की ज़रूरत नहीं है। लेकिन इस बीच और कौन-सी विध्वंसक घटनाएं घट सकती हैं, इसका अंदाज़ा लगाने के लिए ममदानी की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक नीतियों पर नज़र डालना ज़रूरी है।
यह शख्स कट्टर यहूदी-विरोधी है। इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू अगर न्यूयॉर्क आए तो मैं उन्हें गिरफ्तार करूंगा, ऐसा वह कहता है। ‘ग्लोबलाइज द इंतिफादा’ का नारा देकर वह दुनिया भर में यहूदियों के और इज़राइल के साथ व्यवहार करने वाली संस्थाओं के खिलाफ हिंसा को भड़काता है।
वह कट्टर हिंदू-विरोधी भी है। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में हिंदुओं के खिलाफ गंदी भाषा में नारे लगाने वाले जिहादी भीड़ का उसने नेतृत्व किया था। साथ ही वह पाकिस्तान का समर्थक है और भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले जिहादी और खालिस्तानी आतंकवादियों को उसका समर्थन हासिल है।
यह कट्टर मोदी-विरोधी है और “गुजरात दंगों में वहां के सारे मुसलमान मारे गए, इसलिए अब गुजराती मुसलमान बचे ही नहीं हैं” – ऐसा बेझिझक झूठ बोलने में वह सक्षम है।
वह वेश्याव्यवसाय को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का समर्थक है।
नशे की लत वाले लोगों के लिए ‘सुरक्षित इंजेक्शन साइट्स’ बनाने की उसकी योजना है।
बच्चों के यौन शोषण (चाइल्ड एब्यूज) के खिलाफ बने कानूनों को हल्का करने का वह समर्थन करता है। मौजूदा कानून में शोषण की शिकायत करने वाले को अपनी पहचान जाहिर करना जरूरी नहीं है, उस पर पाबंदी लगनी चाहिए – यह इस वामपंथी क्रांतिकारक की राय है।
वह ‘क्वीयर लिबरेशन’ (Queer Liberation) की नीतियों का पुरजोर समर्थन करता है, ताकि स्वयं को विचित्र पहचान देने वाले लोगों (जैसे कुत्ता, बिल्ली समझने वाले) को कोई दिक्कत न हो।
न्यूयॉर्क में अवैध अप्रवासियों के लिए द्वार खुले रखने के लिए, फेडरल इमिग्रेशन एनफोर्समेंट एजेंसी (ICE) को शहर में किसी भी तरह का सहयोग न देने की उसकी योजना है।
न्यूयॉर्क में इस तरह की अराजकता और गंदगी फैलाने में कोई रुकावट न आए, इसलिए पुलिस विभाग के लिए धनराशि कम करने (Defunding the Police) का वह समर्थन करता है।
अप्रवासियों के लिए खुले द्वार (Open Borders Policy) की यह वोक नीति डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपना ली है। यह विचार कि ये अवैध अप्रवासी उनके कट्टर समर्थक बनेंगे और उनके वोटों से चुनाव आसानी से जीते जा सकेंगे, इसके पीछे है, जो भारतीयों को अच्छी तरह पता है।
संक्षेप में अब तक अमेरिका की समृद्धि का मुख्य स्रोत रहा न्यूयॉर्क शहर अब अवैध अप्रवासियों, गुंडों, तरह-तरह के रंग रोगन किए हुए ट्रांसजेंडरों, कुत्ते-बिल्ली की तरह व्यवहार करने वाले क्वीयर लोगों और बच्चों के लिए खतरनाक पीडोफाइल्स का अड्डा बनने जा रहा है।
वामपंथियों के क्लेशकारी प्रचार में किसी की दिशाभूल न हो, इसलिए यह कहना ज़रूरी है। सही दिमाग वाला कोई भी व्यक्ति यही कहेगा कि इन योजनाओं को लागू करना समाज और देश के विनाश को निमंत्रण देना है। लेकिन अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थकों और भारत सहित दुनिया के वामपंथियों को इसमें सामाजिक न्याय और समावेशिता जैसी चीजें दिखती हैं, इतनी उनकी सोचने-समझने की शक्ति वोकिज़्म ने नष्ट कर दी है। ऐसा आदमी चुनकर आता है, इसमें न्यूयॉर्क की ‘मृत्यु-कामना’ साफ दिखती है। लेकिन भारत को इससे सबक लेना चाहिए। पार्टी का नाम और पूर्व की उपलब्धियां चाहे कुछ भी हों, अगर वह पार्टी अर्बन नक्सलियों और वोकिज़्म के चंगुल में फंसती जा रही है, तो उसे दूर से ही नमस्कार करना चाहिए।
नीचे दी गई तस्वीर में डीप स्टेट के एक मुखिया जॉर्ज सोरोस के बेटे एलेक्स सोरोस और ममदानी को गले मिलते हुए देखा जा सकता है। डीप स्टेट-वामपंथी-जिहादी गठबंधन ने बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को उलटने का प्रयास किया। भारत में भी वही करने की उनकी योजना है। इसके लिए भारत की वोक लॉबी ‘जेन जेड’ (Gen Z) की ओर लालायित नज़रों से देख रही है। ममदानी की जीत से उनकी आशाओं को क्षणिक रूप से बल मिला है।
– अभिजित जोग

