19 दिवसीय शीतकालीन सत्र आरम्भ हो चुका है जो आगामी 19 दिसम्बर तक चलेगा। इस दौरान कई विधेयक पास हुए और कुछ की पास होने की कार्यवाही चल रही है। इस आलेख में इन पर विस्तृत चर्चा की जा रही है।
संसद का शीतकालीन सत्र विगत 1 दिसम्बर 2025 से शुरू हुआ जो आगामी 19 दिसम्बर 2025 तक चलेगा। कुल 19 दिन चलने वाले इस शीतकालीन सत्र में 15 बैठकें निर्धारित हैं। ज्ञातव्य हो कि सरकार ने सत्र शुरू होने से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसमें 36 दलों के 50 नेता शामिल हुए थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली इस बैठक में सरकार ने सुचारू संचालन
का आग्रह किया और कहा कि वह किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं। सत्र के पहले पांच दिन (1 से 5 दिसम्बर 2025 तक) में सदन की कार्यवाही मिली-जुली रही। शुरुआत के दो दिन हंगामेदार रहे, लेकिन तीसरा, चौथा और पांचवां दिन अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा। विपक्ष ने दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण, इंडिगो संकट, गिग वर्कर्स की स्थिति, वक्फ पोर्टल रजिस्ट्रेशन, मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दे उठाए, जबकि सरकार ने विधायी कार्यों पर फोकस रखा।

अब तक कितने और कौन-से विधेयक पास हुए इस पर एक दृष्टि
मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025
1दिसम्बर को ही लोकसभा से पास। यह मणिपुर में ॠडढ व्यवस्था में तकनीकी संशोधन करता है।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025, 3 दिसम्बर को लोकसभा में पास, 4 दिसम्बर को राज्यसभा में चर्चा पूरी हुई और 5 दिसम्बर तक दोनों सदनों से पूर्ण मंजूरी मिल चुकी है। इस बिल के जरिए तम्बाकू उत्पादों (सिगरेट, बीड़ी, जर्दा, खैनी, पान मसाला आदि) पर जीएसटी कम्पेंसेशन सेस खत्म होने के बाद भी मौजूदा कर-बोझ बनाए रखने के लिए नया उत्पाद शुल्क लगेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि यह कोई ‘नया टैक्स’ नहीं है, बल्कि राजस्व में कमी को रोकने का उपाय है।
स्वास्थ्य सुरक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025
5 दिसम्बर को लोकसभा से ध्वनिमत से पास हो गया जो कि राज्यसभा में अभी विचाराधीन है।
इस बिल के जरिए अवगुणकारी वस्तुओं (पान मसाला, तंबाकू युक्त उत्पाद, गुटखा आदि) पर अतिरिक्त उपकर लगेगा जिसका पैसा दो हिस्सों में जाएगा –
(क) सार्वजनिक स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर
(ख) राष्ट्रीय सुरक्षा (हाई-टेक हथियार, साइबर सिक्योरिटी, स्पेस एसेट्स आदि)।
वित्त मंत्री ने कारगिल युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि तब हमारे पास केवल 70-80% हथियार थे। देश दोबारा उस स्थिति में नहीं जाना चाहता। विपक्ष ने इसे छिपा हुआ टैक्स बताया, लेकिन
बहुमत से बिल पास हो गया। इस प्रकार 5 दिसम्बर 2025 की शाम तक कुल तीन विधेयक दोनों सदनों से या कम से कम लोकसभा से पास हो चुके हैं।
आगे कौन-से प्रमुख विधेयक पास होने की प्रबल सम्भावना है?
सरकार ने सत्र में कुल 13 पुराने और 10 नए कुल 23 विधेयकों की सूची दी है। इनमें से प्रमुख हैं। एटॉमिक एनर्जी (संशोधन) विधेयक, 2025 – पहली बार निजी कम्पनियों को न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की अनुमति। मसौदा अंतिम चरण में है।
उच्च शिक्षा आयोग भारत विधेयक, 2025 – णॠउ, अखउढए, छउढए को खत्म कर एकल नियामक विधेयक बनेगा।
राष्ट्रीय राजमार्ग (संशोधन) विधेयक – भूमि अधिग्रहण तेज और पारदर्शी होगा।
कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2025 तथा ङङझ (संशोधन) – ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को और आसान बनाएगा।
प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक, 2025 – सेबी एक्ट, डिपॉजिटरी एक्ट आदि को मिलाकर एक कोड बनेगा।
मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) विधेयक, 2025 – कॉर्पोरेट विवादों का तेज निपटारा।
संविधान (131वां संशोधन) विधेयक – चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के तहत लाना।
इनमें से एटॉमिक एनर्जी बिल और उच्च शिक्षा आयोग बिल को सरकार प्राथमिकता दे रही है। यदि सदन सुचारू रूप से चला तो 8-10 और विधेयक पास हो सकते हैं।
सत्र के प्रमुख निष्कर्ष और निर्णय
स्वास्थ्य और रक्षा के लिए नया फंडिंग मॉडल तथा अवगुणकारी वस्तुएं सस्ती नहीं होंगी का सिद्धांत स्थापित हुआ। पान मसाला-गुटखा महंगा होगा, पैसा स्वास्थ्य और हाई-टेक रक्षा पर खर्च होगा।
तम्बाकू उत्पादों पर कर-बोझ बरकरार-जीएसटी कम्पेंसेशन सेस खत्म होने के बावजूद राजस्व नहीं गिरेगा। राज्यों को भी लाभ होगा।
विपक्ष की रणनीति आंशिक सफल- प्रदूषण, इंडिगो संकट, गिग वर्कर्स, वक्फ पोर्टल जैसे मुद्दे उठे, लेकिन सरकार ने विधायी कार्यों को प्राथमिकता दी। 9 दिसम्बर को चुनाव सुधार (डखठ) पर 10 घंटे और 8 दिसम्बर को वंदे मातरम पर 10 घंटे की चर्चा तय हुई है।
सोशल मीडिया पर बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा – राज्यसभा में सुधा मूर्ति ने गम्भीर चिंता जताई और फ्रांस जैसे देशों की तरह कड़े नियम बनाने की मांग की। सरकार ने इसे गम्भीरता से लिया है।
शीतकालीन सत्र 2025 अब तक अपेक्षाकृत उत्पादक रहा है। पहले दो दिन हंगामे के बावजूद सरकार तीन महत्वपूर्ण आर्थिक-सुरक्षा विधेयक पास करा चुकी है। यदि अगले 10 कार्य दिवस भी इसी तरह शांतिपूर्ण रहे तो यह सत्र पिछले कई सत्रों की तुलना में सबसे अधिक विधायी उत्पादकता वाला सत्र बन सकता है।
स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा को एक साथ जोड़कर नया उपकर लगाना इस सत्र का सबसे बड़ा और विवादास्पद निर्णय रहा। विपक्ष इसे ‘छिपा टैक्स’ कह रहा है, जबकि सरकार इसे ‘दीर्घकालिक रणनीतिक फंडिंग’ बता रही है। आने वाले दिनों में परमाणु क्षेत्र में निजी भागीदारी और उच्च शिक्षा में एकल नियामक जैसे ऐतिहासिक सुधार भी पास हो सकते हैं।
-आशीष कुमार ‘अशु’

