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भय पैदा करने वाली घटनाएं

भय पैदा करने वाली घटनाएं

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, राजनीति
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कानून और व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध कोई भी राज्य इस तरह सांप्रदायिकता भड़काने और तनाव करने की योजना वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करता, हिरासत में लेता या कम से कम उसके घर में नजरबंद करता। इसके साथ ऐसे कार्यक्रम पर रोक भी लगाई जाती। मुर्शिदाबाद का दृश्य इसके विपरीत था। ऐसा लग रहा था जैसे पुलिस उस कार्यक्रम की सुरक्षा के लिए वहां तैनात है।

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किसी ने कल्पना की होगी कि बाबरी मस्जिद की कहीं नींव डाली जाएगी और उसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होंगे। तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद जिले में बेलडांगा से सटे इलाके में भीड़ के सामने प्रतीकात्मक तौर पर फीता काटकर मस्जिद की नींव रख दी। हुमायूं कबीर पश्चिम मुर्शिदाबाद जिले के भरतपुर से विधायक हैं। अचंभे की बात है कि हुमायूं कबीर लंबे समय से सार्वजनिक वक्तव्य दे रहे थे कि वह 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद के निर्माण की शुरुआत करेंगे।

हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद में रखी 'बाबरी मस्जिद की नींव', बीजेपी ने कहा-  ममता आग से खेल रही हैं - BBC News हिंदी

इस कारण पश्चिम बंगाल के अंदर और समूचे देश में तनाव और असहजता का वायुमंडल कायम हो रहा था। अलग-अलग मंचों से इसे रोकने की मांग भी की गई। किंतु अंततः हुमायूं कबीर ने बिना किसी रोक-टोक के हजारों मुसलमानों को इकट्ठा किया और पूरा वातावरण ऐसा था कि कोई रोकने जाता तो उसकी शामत आ जाती। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें रोकने की कोई कोशिश नहीं की। केवल तृणमूल कांग्रेस ने हुमायूं कबीर को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। क्या ऐसे व्यक्ति को निलंबित करना ही पर्याप्त था?

कानून और व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध कोई भी राज्य इस तरह सांप्रदायिकता भड़काने और तनाव करने की योजना वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करता, हिरासत में लेता या कम से कम उसके घर में नजरबंद करता। इसके साथ ऐसे कार्यक्रम पर रोक भी लगाई जाती। मुर्शिदाबाद का दृश्य इसके विपरीत था। ऐसा लग रहा था जैसे पुलिस उस कार्यक्रम की सुरक्षा के लिए वहां तैनात है।

जब पुलिस प्रशासन को राजनीतिक नेतृत्व से रोकने का कोई आदेश नहीं था तो वह ऐसी ही भूमिका निभाएग? किसी को भी कानूनी रूप से वैध जमीन पर मंदिर या मस्जिद बनाने का अधिकार है। बाबर के नाम से बाबरी मस्जिद बनाना करोड़ हिंदुओं सिखों की भावनाओं को चोट पहुंचाना और जख्मों को कुरेदना है जो हर दृष्टि से अस्वीकार्य है। 1529 में बाबर के सेनापति मीर बकी द्वारा अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद निर्माण के विरुद्ध वर्षों का संघर्ष अब सबको पता है।

अंततः स्वतंत्रता के बाद आंदोलन और फिर आगे न्यायिक संघर्ष से उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद मंदिर निर्माण किया गया। बावजूद देश का एक बड़ा वर्ग मानता है कि बाबर के साथ उसका जुड़ाव है, उससे प्रेरणा मिलती है और इसलिए मस्जिद हमें बनानी है तो यह भारत की एकता -अखंडता- सांप्रदायिक सद्भाव और भविष्य की दृष्टि से डरावना संकेत है। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि जिस बाबर को उसके मूल स्थान उज़्बेकिस्तान में महत्व नहीं मिलता और वहां उसे लूटेरा तक बोला जाता है भारतीय मुसलमान स्वयं को उससे जोड़ते हैं।

यह अभियान यहीं रुकने वाला नहीं दिखता। तहरीक मुस्लिम शब्बन नामक संगठन के अध्यक्ष मुश्ताक मलिक ने ग्रेटर हैदराबाद में बाबरी मस्जिद मेमोरियल और वेल्फेयर इंस्टीट्यूशन बनाने का ऐलान किया है। पता नहीं आगे कौन कहां बाबर के नाम पर और कुछ निर्माण की घोषणा कर दे। विडंबना देखिए कि उच्चतम न्यायालय ने आदेश में मुस्लिम समुदाय को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन दिया है। अनेक मुस्लिम नेताओं ने घोषित कर दिया कि उन्हें वह जमीन नहीं चाहिए।

बेलडांगा की तस्वीर देखकर किसी को अगर डर पैदा नहीं होता तो साफ है कि वह इतिहास एवं वर्तमान दोनों से सीख लेने को तैयार नहीं है । भारत विभाजन के पीछे बंगाल वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप से कट्टरपंथियों के लिए बहुत बड़ी ताकत बना था। 16 अगस्त, 1946 को डायरेक्ट एक्शन दे यही हुआ था जिसमें सैंकड़ों हिंदुओं को सरेआम काटा गया महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ हुए ताकि गैर मुस्लिम डर जाएं ,कांग्रेस दबाव में आए एवं ब्रिटिश सरकार के सामने मुसलमानों के लिए अलग देश देने के अलावा चारा न बचे।

आज बंगाल के अलावा भी देश में किसी ने किसी रूप में डायरेक्ट एक्शन दे चल रहा है। आखिर हुमायूं कबीर के साथ मुस्लिम समुदाय के इतने लोगों का खड़ा होना, कई करोड़ रूपया देना, माथे पर ईंट लेकर चलना, खतरनाक नारे लगाना तथा लगातार धन भेजते रहने का विश्लेषण आप कैसे करेंगे? समारोह स्थल पर नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर के साथ हिंसक नारे भी लग रहे थे। पुलिस प्रशासन रोकने की औपचारिक भी नहीं निभा सका।

High alert in Murshidabad as suspended TMC MLA pushes ahead with 'Babri-style'  mosque plan

कुछ लोग इसे पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देख सकते हैं। हुमायूं कबीर ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के साथ गठबंधन कर 135 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इनमें 90 स्पष्ट मुस्लिम प्रभाव वाले तथा 45 अन्य सीटें हैं। विश्लेषण किया जा सकता है कि उससे क्या तृणमूल को चुनाव में क्षति होगी? यह प्रश्न केवल चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है देश के लिए डर पैदा होने वाली घटना है।

अगर दो पार्टियां ही सही बाबर और फिर बाबरी मस्जिद के नाम पर मानती हैं कि उन्हें मुसलमानों का वोट मिल जाएगा तो इससे देश की स्थिति का अनुमान लगा लीजिए। ममता बनर्जी ने भी मुस्लिम वोट खिसकने के डर से ही हुमायूं कबीर को रोकने का कदम नहीं उठाया। अगर इतने बड़े समुदाय में बाबर के नाम पर वोट मिलने या कटने की उम्मीद या भय है तो इससे खतरनाक स्थिति कुछ नहीं हो सकती। हुमायूं कबीर की राजनीतिक पृष्ठभूमि सभी पार्टियों से है।

पर उनकी सांप्रदायिक गैर मुस्लिम खासकर हिंदू विरोधी मानसिकता लंबे समय से सामने है। मई 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि, मुर्शिदाबाद में 70 फ़ीसदी जनसंख्या मुस्लिम है. बीजेपी के समर्थकों को भागीरथी नदी में फेंक देंगे। मुर्शिदाबाद में भाजपा के समर्थक कौन लोग हैं किस समुदाय के लोग हैं?

इसी वर्ष अप्रैल में मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंदू विरोधी हिंसा को याद करिए और हुमायूं कबीर के इस बयान से जोड़िये। कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा गठित तथ्य खोजी समिति ने मई, 2025 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में दिल दहलाने वाले बातें कहीं थी। उसमें कहा गया था कि हिंसा केवल हिंदुओं के विरुद्ध थी और सुनियोजित थी तथा स्थानीय तृणमूल के मुस्लिम नेता और पार्षद ने हिंसा का नेतृत्व किया। यह भी कि लोगों ने पुलिस से मदद मांगी, पर पुलिस ने न हिंसा रोकने की कोशिश की और न पीड़ितों को सुरक्षा देने की ही।

उसे दौरान हिंदुओं के कई गांवों के सारे घर जला दिए गए, आग बुझाए न जा सकें इसलिए पानी के कनेक्शन काटे गए और यहां तक कि तालाबों में जहर डालने की घटनाएं भी सामने आईं। इन सबके लिए बहाना वक्फ विधेयक के विरोध का बनाया गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका विरोध करने की जगह पहले बीएसएफ पर आरोप लगाया कि उसने बांग्लादेश से बुलाकर हिंसा कर दी और फिर बाद में इसे भाजपा और संघ की साजिश करार देतीं रहीं।

पहले बंगाल के वामपंथी शासन और बाद ममता ने ऐसे खतरनाक कट्टर हिंसक शेर की सवारी की जो उनके लिए भी संकट बन रहा है और देश के लिए तो खैर भीषण समस्या हुआ ही है। अंदर की स्वाभाविक मजहबी कट्टरवादी सोच धीरे-धीरे सामने आने लगा। आज हम मुसलमानों के बड़े तपके को औरंगजेब, बाबर, गजनी स्वयं को गाजी घोषित करने वाले क्रूर हमलावरों के साथ सरेआम जोड़ते देख रहे हैं।

Babri Masjid lay the foundation stone today Humayun Kabir supporter  carrying bricks on his head बाबरी मस्जिद के लिए सिर पर ईंटें लेकर जा रहे  समर्थक, आज नींव रखेंगे हुमायूं; हाई अलर्ट,

किसी भी समुदाय से उम्मीद की जानी चाहिए कि अगर इतिहास की कुछ बातें स्पष्ट हैं तो उन्हें स्वीकार कर दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें। भारत में सारे दृश्य इसके उलट हैं। मुसलमानों के शायद सबसे बड़े संगठन के मौलाना मदनी सरेआम कहते हैं कि अगर जुल्म होगा तो जिहाद होगा। ध्यान रखिए उसके एक दिन पहले ही दिल्ली में डॉक्टर आतंकवादियों के समूह में से एक ने कार विस्फोट कर स्वयं को उड़ा लिया था। उसकी किसी संगठन ने स्वयं औपचारिक निंदा नहीं की।

सीधा समर्थन न करते हुए किंतु परंतु के साथ सरकार एवं हिंदू संगठनों के व्यवहार को इसका कारण साबित करने की कोशिश की जा रही है। उच्चतम न्यायालय के अयोध्या मामले पर फैसले के बाद से किसी मुस्लिम संगठन के नेता ने इसे न्यायसंगत नहीं माना।

फैसले को स्वीकार करने की जगह खुलेआम अपने को इस देश पर हमला करने , दूसरे पंथों , धर्म के स्थलों को ध्वस्त करने या उन पर मस्जिद या मजार आदि बनाने को इस्लामी मानता है तो उन्हें आप तथ्य और तर्कों से सहमत नहीं कर सकते। बाबरी मस्जिद की नींव के बाद देश को इस्लाम की स्वाभाविक कट्टरवाद के कटु यथार्थ समझना चाहिए और सरकार के साथ एक-एक व्यक्ति को तय करना चाहिए कि इनका मुकाबला कैसे करें। बंगाल और अन्य प्रदेश के मतदाता कम से कम अपने वोट से इसका विरोधकरें।

मुस्लिम समुदाय के अंदर भी ऐसे लोगों हैं जो इस प्रकार के व्यवहार को उचित नहीं मानते और भारत की एकता अखंडता कायम रखना चाहते हैं। उन्हें भी आगे आकर विरोध करना पड़ेगा। उन्हें बताना पड़ेगा कि जिन्हें भारत में समस्या दिख रहा है वे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान आदि की स्थिति देख लें। वहां संघ तथा भाजपा नहीं है। यहां आप बहाने बना सकते हैं, उन देशों की हालत के लिए किस दोषी मानेंगे।

 “इस बारे में आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट्स में बताएं।”

-अवधेश कुमार

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Tags: #BabariMasjid #WestBengal #mamta #humayukabir #antiindia #news #reach

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