भारतीय जनता पार्टी के लिए लम्बे संघर्ष के बाद दक्षिणी राज्य केरल से एक सुखद समाचार आया है। केरल के नगर निकाय चुनावों में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए राजग गठबंधन तीसरी शक्ति के रूप प्रवेश कर चुका है। यह नया राजनीतिक समीकरण मात्र केरल में ही नहीं अपितु पूरे दक्षिण भारत में कांग्रेस तथा वामपंथियो को सावधान होने को कह रहा है। केरल की राजधानी और कांग्रेस सांसद शशि थरूर के संसदीय क्षेत्र तिरुवनंतपुरम के नगर निगम चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 101 में से 50 सीटों पर विजय प्राप्त कर इतिहास रच दिया और वाममोर्चे का 45 वर्ष पुराना किला ढहा दिया।
माकपा के नेतृत्व वाला गठबंधन यहा 29 और कांग्रेस नेतृत्व वाला गठबंधन मात्र 19 सीटों पर ही सिमट गया। तिरुवनंतपुरम ही नहीं केरल के त्रिशूर नगर निगम पर भी भाजपा गठबंधन का नियंत्रण हो गया है। इसके अतिरिक्त भाजपा ने लगातार तीसरी बार पलक्काड नगर पालिका पर भी अपना नियंत्रण बनाए रखा और त्रिपुनिथुरा नगरपालिका में सत्तारूढ़ गठबंधन के 20 वार्डों के मुकाबले 21 वार्ड जीतकर एडीएफ गठबंधन को एक और तगड़ा झटका देने में सफलता प्राप्त कर ली।

तिरुवनंतपुरम के परिणाम राजनैतिक गलियारे में चर्चा का विषय बन गए हैं, क्योंकि यहां से शशि थरूर वर्ष 2009 से कांग्रेस के सांसद हैं और कांग्रेस आलाकमान से उनकी अनबन चल रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो भारतीय प्रतिनिधिमंडल विदेशी दौरे पर भेजे गए थे उसमें शशि थरूर भी शामिल थे। शशि थरूर समय समय पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की किसी न किसी रूप में सराहना कर रहे हैं। मोदी की नीतियों पर थरुर के लेख भी चर्चा का विषय बने रहते हैं।
केरल नगर निकाय के चुनाव परिणामों के आंकड़ों के अनुसार राजग गठबंधन ने राज्यभर में 1900 से अधिक वार्ड जीते हैं जो पिछली बार की तुलना में 300 से अधिक हैं। यद्यपि अब कहा जा सकता है कि अब केरल में भाजपा की उपस्थिति नगण्य नहीं रह गई है, वह धीरे-धीरे बढ़त पर निकल पड़ी है तथापि केरल में भाजपा को अभी बहुत काम करना है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी उसकी पकड़ नही बनी है।
केरल नगर निकाय चुनाव परिणामों से संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा ने तिरुवनंतपुरम में 45 वर्ष से चले आ रहे वामपंथी गढ़ को ढहा दिया। कोझिकोड ओैर कन्नूर जैसे कट्टर वामपंथी गढ़ों में भी अपनी उपस्थिति दिखाने में सफलता प्राप्त की, जहां उसने 13 और 4 सीटें जीतकर सत्ता के समीकरण गड़बड़ा दिए। एनडीए ने पहली बार 26 ग्राम पंचायतों में सफलता प्राप्त की है। स्पष्ट है कि अब भाजपा केरल में तीसरी ताकत बन रही है और वहां की राजनीति में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। 2020 के नगर निकाय चुनावों में भाजपा गठबंधन को 15 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे जो अब बढ़ कर 20 प्रतिशत हो गए हैं।
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भाजपा के लिए सबसे चौंकाने वाला परिणाम कन्ननकुलंगरा वार्ड जिसे हिंदुओ का गढ़ कहा जाता है जहां पर भाजपा की मुस्लिम महिला उम्मीदवार मुमताज ने ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। मुमताज विगत दो वर्षों से अल्पसंख्यक मोर्चा की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। मुमताज एक राजनेता के अतिरिक्त उद्यमी भी हैं।
चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भाजपा को बधाई देते हुए इसे लोकतंत्र की खूबसूरती बताया। केरल की जीत से प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा नेतृत्व गदगद है और इस विजय का उत्सव भी मना रहा है। केरल विजय पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह केरल में कार्यकर्ताओं की पीढ़ियों के कार्य और संघर्ष को याद करने का दिन है जिन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया। हमारे कार्यकर्ता ही हमारी ताकत हैं हमें उन पर गर्व है।
भारतीय जनता पार्टी केरल में अपने पैर जमाने के लिए लगातार कड़ी मेहनत कर रही है और हर बार नये-नये चेहरों के साथ प्रयोग कर रही है। 2014 में केंद्र में भाजपा गठबंधन की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद से केरल में भाजपा विशेष ध्यान दे रही है जिसका प्रतिफल अब दिखाई दे रहा है। अब केरल में ईसाई समुदाय भी भाजपा की ओर आकर्षित हो रहा हैं और उस समुदाय मे बीजेपी की पैठ बढ़ी है। इन सब के पीछे केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बढ़ता प्रभाव भी है। स्वयंसेवकों ने अपने प्राणों तक की चिंता छोड़कर संघ का विस्तार किया है। अब युवा भी संघ की शाखाओं में आ रहे हैं। स्वाभाविक रूप से केरल में संघ के विस्तार का लाभ भाजपा को मिलेगा।
-मृत्युंजय दीक्षित

