हर एक की अपनी फैशन है – अदिती गोवित्रीकर

आपने जो पहना है, उसमें आप सहज हैं, आप पर वह सुंदर लग रहा है तो वही आपका फैशन होना चाहिए। जो दुनिया करे वह फैशन नहीं है। इस दृष्टि से देखें तो हर कोई फैशनेबल है।  प्रस्तुत है मिसेज इंडिया और मिसेज वर्ल्ड का खिताब जीतने वाली सुंदरी अदिति गोवित्रिकर से फैशन की दुनिया पर हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश-

आप एक सफल मॉडल तथा एक्टर हैं। आपकी सफलता का मंत्र क्या है?

अपने कार्य के प्रति जागरूकता एवं सौ फीसदी कड़ी मेहनत-लगन को ही मैं अपनी सफलता का मंत्र मानती हूं। सफलता पाने का कोई शॉर्टकट नहीं होता, कड़ी मेहनत करनी ही पड़ती है। मेरे क्षेत्र के  एक्सपर्ट से सही राय व दिशानिर्देश लेकर समय के अनुरूप कड़ी मेहनतकरने के कारण ही मुझे सफलता मिली है।

आपके क्षेत्र में सफलता किस बात पर निर्भर है?

मेरा ऐसा मानना है कि हमारे क्षेत्र में भाग्य बहुत मायने रखता है। मैं आपको इसके दो उदाहरण देना चाहूंगी। एक दिन दोपहर को मुझे एक बहुत बड़े कोरियोग्राफर ने फोन किया। वे मुझे किसी गाने के लिए लेना चाहते थे। पिछले दिन अधिक काम के कारण मैं तब सो रही थी।  मैंने नींद में उन्हें कहा कि मैं आपको थोड़ी देर बाद फोन करती हूं। एक-डेढ़ घंटे बाद जब मैंने उन्हें फोन किया तो वे किसी और को साइन कर चुके थे। ये मेरा दुर्भाग्य था।

ऐसेे ही जब मुझे कोका-कोला के लिए र्‍हितिक रोशन के साथ काम करने का मौका मिला तो वह रोल पहले किसी और को ऑफर किया गया था। उनके मना करने के बाद मुझे मिला। मेरे दोस्तों ने मुझे कहा भी कि तुम विकल्प की तरह क्यों जा रही हो, तुम्हारा इंडस्ट्री में नाम है आदि आदि। लेकिन मैंने कहा- अगर मुझे यह बात पता नहीं होती तो मेरे लिए तो यह बडा चांस ही होता। और वह आज भी है इसलिए मैं यह जरूर करूंगी। …तो इस क्षेत्र में काम मिलना भी भाग्य ही है।

अपने काम और गृहिणी की भूमिका में आप कैसे तालमेल बैठाती हैं?

गृहिणी होने के नाते घर के सारे काम करने ही पड़ते हैं। इसके साथ ही हमारा पेशेवर कार्य करना भी जरूरी है। इसके लिए मैं समय के प्रबंधन पर अपना ध्यान केंद्रित रखती हूं। घर और बाहर कार्यक्षेत्र की सबसे पहले प्राथमिकता तय करती हूं तथा उसके अनुसार ही समय का सदुपयोग कर आसानी से तालमेल बिठा पाती हूं।

दौड़भाग भरी जिंदगी में आप स्वयं को फिट रखने के लिए क्या करती हैं?

मैं स्वयं को चुस्त-दुरुस्त और ताजगी से भरपूर रखने के लिए रोजाना व्यायाम करती हूं। व्यायाम करने से मेरे शरीर में फुर्ती रहती है, जिससे पूरी तल्लीनता से मैं सारा काम-काज कर पाती हूं। कुछ लोग कहते हैं कि हमें समय नहीं मिलता इसलिए हम व्यायाम नहीं कर पाते लेकिन मेरा मानना है कि यदि हम स्वयं को फिट रखना चाहते हैं तो समय निकालना पड़ेगा, कोई बहाना नहीं चलेगा। जैसे बराक ओबामा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आदि सभी के पास दिन के 24 घंटे उपलब्ध है वैसे ही हमारे पास भी 24 घंटे हैं। इन्हीं में से अपने व्यायाम के लिए समय निकालना जरूरी है।

आमतौर पर ज्यादातर भारतीय महिलाएं जिम नहीं जा पातीं, व्यायाम नहीं करतीं, ऐसी महिलाओं के लिए आप क्या टिप्स देना चाहेंगी?

एक बात मैं हिंदी विवेक के पाठकों को बताना चाहूंगी। पिछले वर्ष मेरी मां ने वरिष्ठ नागरिकों के मैराथन में हिस्सा लिया था और उसमें वह जीती भी। आज भी उनका फिटनेस लेवल बहुत अच्छा है। वह तो कभी जिम नहीं गई, न ही उन्होंने कभी व्यायाम किया। उनकी फिटनेस का राज यह है कि उन्होंने अपने घर का काम पूरी निष्ठा, ईमानदारी एवं लगन खुद ही किया। अपने काम के साथ-साथ घर के सारे लोगों का काम करने में वह कभी पीछे नहीं हटी। परिणामतः आज भी वह हमारी युवा पीढ़ी से ज्यादा मजबूत है। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि घरेलू महिलाएं घर का सारा काम स्वयं करें तो उनको अलग से जिम जाने या व्यायाम करने की जरूरत नहीं है। घर के कामों से ही सारा व्यायाम हो जाता है। बस उन्हें आलस छोड़कर मेहनत करने की आदत डालनी होगी।

आपके अनुसार फैशन क्या है और आम भारतीय महिला इसे कैसे अपना सकती है?

मेरे हिसाब से तो हर कोई फैशनेबल है। सभी का अपना अपना स्टाइल है। आज हम विद्या बालन जी को देखते हैं। वे साड़ी पहनती हैं, गजरा लगाती हैं, बड़ी बिंदी लगाती हैं। उनको इसी फैशन में सभी ने स्वीकार किया है।

एक आम भारतीय महिला भी यही सब करती है। फिर समाज उसे फैशनेबल क्यों नहीं मानता?

मेरा मानना तो यह है कि अगर आपने जो पहना है, उसमें आप सहज हैं, आप पर वह सुंदर लग रहा है तो वही आपका फैशन होना चाहिए। जो दुनिया करे वह फैशन नहीं है।

आपकी शिक्षा और आपके द्वारा किए जा रहे कुछ चुनिंदा कार्यो की गतिविधियों के बारे में बताएं?

मैं हार्वर्ड से साइकोलॉजी का कोर्स कर रही हूं। साइकोलॉजी की प्रेक्टिस चालू है। मैं अपने क्लाइंट्स की काउंसलिंग करती हूं। मिसेज इंडिया, मिस इंडिया आदि अलग-अलग शहरों में होने वाले ब्यूटी पे्रजेंट्स को जज करती हूं। किड्स फैशन वीक, किड्स शो स्टॉपर, वेब सीरीज आदि इवेंट का काम भी देखती हूं। मोटिवेशनल टॉक्स करती हूं। मुंबई पुलिस के लिए 50 स्ट्रेस मैनेजमेंट वर्कशॉप किए हैं। डॉक्टर के लिए 3 कम्युनिकेशन वर्कशॉप हुए हैं। यह सब चलता ही रहता है।

आप जब मिसेस वर्ल्ड का खिताब जीतकर आईं थीं, उसके बाद आपको क्या परिवर्तन महसूस हुए?

मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि मैंने उस जमाने में यह खिताब जीता था, जब शादी के बाद भारतीय महिलाएं अपनी सुंदरता की ओर ध्यान देना छोड़ देती थीं। परिवार की जिम्मेदारियों के बीच वे  स्वयं को नजरअंदाज कर देती थीं। पर मैंने समाज में यह उदाहरण दिया कि भारतीय महिलाएं शादी के बाद भी उतनी ही सुंदर दिख सकती हैं, रह सकती हैं। बस उन्हें थोड़ा सा अपनी ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। मुझे भी समाज में सम्मान मिलने लगा था। मेरी एक इमेज तैयार हो गई थी।

एक सामान्य परिवार में रहकर मिसेज वर्ल्ड का खिताब जीतने तक का सफर आपको कैसा लगा और इसमे आपके परिवार का आपको कितना सपोर्ट मिला?

मैं पहले डॉक्टर बनने के लिए पढ़ाई कर रही थी। उसे छोड़कर मॉडलिंग की दुनिया में आई। इसके बाद अनेक प्रकार के कार्य किए और मिसेज वर्ल्ड से लेकर अन्य ढेर सारे पुरस्कार भी जीते। एक सामान्य परिवार से होकर बिना परिवारिक सपोर्ट के इतना लंबा सफर तय करना तो संभव ही नहीं था। परंतुमुझे कदम- कदम पर अपने परिवार का पूरा सपोर्ट मिला। परिवार ने बस यही हिदायत दी थी कि हमारे सरनेम पर लांछन न लगने पाए, इसका ध्यान रखना। मैंने अपने मान-सम्मान-स्वाभिमान का ख्याल रखा। नतीजतन अपनी जिंदगी में इतनी आगे बढ़ पाई हूं। मध्यम वर्गीय परिवार से होने के बावजूद आत्मविश्वास के दम पर अपने करियर में अनेक प्रकार के चुनौती और संघर्षों का मैंने सामना किया। तब कहीं जाकर मैंने यह मुकाम हासिल किया है। मैं अपनी जिंदगी के सफर को बेहद संजीदगी और जिंदादिली से जी रही हूं। इसलिए मैं बहुत खुश हूं।

भविष्य में आपकी क्या योजनाएं हैं?

आप यकीन नहीं करेंगे किन्तु मैंने अपने 95 वर्ष के जीवन की योजना बना रखी है। मैं नहीं जानती कि मैं कितने साल जिंदा रहूंगी परंतु मेरी योजना 95 साल की है। मैं शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से एक्टिव रहना चाहती हूं। निश्चित ही शरीर तो उम्र के साथ कमजोर होगा ही परंतु मैं मस्तिष्क को क्रियाशील रखना चाहती हूं। इसलिए मैं निरंतर सीखने की, पढ़ने की कोशिश कर रही हूं। कई कोर्स करना चाहती हूं और शरीर को फिट रखने के लिए तो निरंतर व्यायाम करती ही हूं। हालांकि अगर कल मेरी मृत्यु हो जाए तो भी मैंने अपनी विल आदि बनवा रखी है।

साथ ही प्रोफेशनल एक्टर भी बने रहना चाहती हूं। आजकल कई वेब सीरीज आ रही हैं। जिनमें महिलाओं को कई रोल मिल रहे हैं। उन रोल को करने का इरादा था।

भारतीय सौंदर्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो पहचान मिल रही है उसका लाभ आने वाली पीढ़ी को किस तरह मिलेगा?

आने वाली पीढ़ी के लिए अब कई सारे दरवाजे खुल गए हैं। मॉडलिंग तथा उससे जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में अब आने वाली पीढ़ी के लिए कई मौके हैं।

मॉडलिंग व ब्यूटी के क्षेत्र में करियर को लेकर कितनी संभावना है?

ब्यूटी प्रेंजेंट्स के चलते आसानी से एक प्लेटफार्म मिलता है। मॉडलिंग के क्षेत्र में रेम्प मॉडलिंग या कोरियोग्राफर, बैकस्टेज मैनेजर, हेल्पर आदि अनेक प्रकार की जॉब की संभावना है। वेब सीरीज के माध्यम से संभावना बढ़ती जा रही है। इसके अलावा इससे संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में अपार संभावना दिखाई देती हैं।

आप अक्सर ब्यूटी कॉन्टेस्ट को जज करती है, इस दौरान आपको कौन सी महत्वपूर्ण बात ध्यान में आती है?

काफी सारे ब्यूटी कॉन्टेस्ट में टैलेंट राउंड होता है। उसमें इतना टेलेंट नजर आता है कि मैं बता नहीं सकती। मैं सोचती हूं कि यदि यह प्लेटफॉर्म इन्हें नहीं मिलता तो इन सब की प्रतिभाएं कभी दुनिया के सामने नहीं आ पातीं। इनकी प्रतिभाओं के अनुसार यदि इन्हें मौका दिया जाए तो दुनिया में अपना एवं भारत का नाम रौशन करने की क्षमता इनमें साफ-साफ दिखाई देती है।

महिलाओं के आधुनिक कपड़े जैसे जींस, स्कर्ट पहनने आदि को लेकर अक्सर प्रश्नचिह्न लगाए जाते हैं, इसके विरोध में फतवे निकाले जाते हैं, इस पर आपकी क्या राय है?

ऐसी हरकतें पिछड़े समाज की सोच को दर्शाती हैं। महिलाएं क्या पहनें, क्या न पहनें यह उनका अधिकार है। हम आगे जाने के बजाय पीछे क्यों जा रहे हैं? विदेशों में महिलाओं के कपड़े को लेकर छींटाकशी नहीं होती और न ही उन्हें गलत नजर से देखा जाता है। वहां पर स्कर्ट-जींस पहनना आम बात है। हमें अपनी पिछड़ी सोच बदलनी होगी। देश की प्रगति के लिए दुनिया के साथ-साथ हमें कदमताल करना होगा।

पिछले कुछ वर्षों में मॉडल, एक्टर, विद्यार्थी, हाई प्रोफाइल लोगों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ी है, आप एक मनोचिकित्सक हैं, आपकी नजर में इसका मुख्य कारण और बचाव क्या है?

हताशा-निराशा, उदासी, नकारात्मकता, तनाव आदि समस्याओं से बाहर निकलने की मानसिक स्थिरता को खो देना, इसी को मैं आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति का मुख्य कारण मानती हूं। आज के युवा या हाई प्रोफाइल लोग सोशल मीडिया में दिलचस्पी ले रहे हैं, जिससे उनका व्यक्तिगत भावनात्मक संबंध टूटता जा रहा है। इसके चलते वह अपनी प्रॉब्लम को किसी के साथ शेयर नहीं कर पाते, अंदर ही अंदर टूटते रहते हैं। वह अपनी प्रॉब्लम को इतना बड़ा बना लेते हैं जैसे उनके पास कोई रास्ता ही नहीं बचा हो और वह सारी प्रॉब्लम का समाधान आत्महत्या को समझने लगते है। नतीजतन वह आत्महत्या की ओर उन्मुख हो जाते हैं। ऐसे लोगों को साइकोलॉजिस्ट की मदद लेनी चाहिए। आज के समय में हर जगह आसानी से साइकोलॉजिस्ट उपलब्ध है। हर तरह की समस्या का समाधान सरल तरीके से वे बताते हैं। वे सारी बातें गुप्त रखते हैं या अपने तक ही सीमित रखते हैं। जो लोग अपने घर के लोगों से अपनी प्रॉब्लम को लेकर बात करने में डरते हैं हिचकते हैं ऐसे लोगों को साइकोलॉजिस्ट की मदद लेनी चाहिए।

सुंदरता बढ़ाने हेतु प्लास्टिक सर्जरी द्वारा एक्सपेरिमेंट करने का चलन इंडस्ट्री में बढ़ता जा रहा है, इसके इफेक्ट व साइड इफेक्ट किस तरह के होते हैं?

प्लास्टिक सर्जरी का मानव शरीर पर अच्छा और बुरा दोनों तरह का प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक सर्जरी से तात्कालिक सुंदरता भले दिखाई देती हो किंतु कुछ समय बाद उसके साइड इफेक्ट भी सामने आने लगते हैं। किसी दुर्घटना के कारण प्लास्टिक सर्जरी करनी पड़े तो ठीक है लेकिन सुंदरता के मोह में प्लास्टिक सर्जरी कर अपने आप पर एक्सपेरिमेंट करना घातक सिद्ध हो सकता है। यदि बहुत जरूरी हो तो काउंसलिंग के बाद ही सर्जरी कराएं। इसका साइड इफेक्ट तो होता ही है इसलिए जहां तक हो सके तो सर्जरी करने से बचना ही चाहिए।

‘हिंदी विवेक’ के पाठकों को आप क्या संदेश देना चाहेंगी?

अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु शारीरिक, मानसिक, प्राकृतिक, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, इमोशन एवं खानपान इन 8 स्तम्भों पर ध्यान केंद्रित करिए। उसके अनुरूप जीवन यापन करेंगे तो हर क्षेत्र में सफलता आपके कदम चूमेगी। उक्त 8 स्तम्भों को अपने जीवन में उतारिए और उसके अनुसार अपने कर्तव्य का पालन कीजिए। यही सफलता का मूल मंत्र है। इसके साथ ही ‘हिंदी विवेक’ के प्रबुद्ध पाठकों को मेरी ओर से दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

This Post Has 3 Comments

  1. सुनील दुबे

    बहुत ही अच्छा साक्षात्कार है हर गृहस्थ महिलाओ को प्रेरणा देने का काम करेगा।।

  2. सुनील दुबे

    बहुत ही अच्छा आर्टिकल है खासकर उन महिलाओं के लिए जो शादी होने के बाद जिंदगी जीने के लिए सब भाग्य पर छोड़ देती है जो होगा देखा जाएगा। कोई अपने लिए समय निकालना चाहती है नही।।

  3. सुषमा भंडारी

    Bahut khoob

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