कला पर बोझ बनता स्टारडम

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जब कोई निर्देशक कोई फिल्म बनाता है तो उसके मस्तिष्क में फिल्म की पूरी ब्लू प्रिंट तैयार होती है। पर्दे पर दिखने के पहले वह निर्देशक की आंखों में उतर चुकी होती है। ऐसे में स्टारडम के बल पर सुपर स्टार्स का फिल्म में हेरफेर करना पूर्णत: अनुचित है। निर्देशकों को अपनी सोच के हिसाब से फिल्म बनाने की छूट मिलना कथा से लेकर उसकी परिणीति तक के लिए अत्यंत आवश्यक है।

वैकल्पिक विमर्श को बढ़ाती फिल्म : द केरल स्टोरी

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यह फिल्म मात्र नहीं, एक सोच है। एक ऐसी सोच जो हमें अपनी आने वाली पीढ़ी के प्रति जिम्मेदारी का भाव जगाने का प्रयास करती है। जाहिर सी बात है कि, तथाकथित सेक्युलर विरोध करेंगे ही। फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। इस फिल्म की…

बहिष्कार के मकड़जाल में बॉलीवुड

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बहिष्कार एक बहुत सामान्य और प्राचीन क्रिया है। अपने मतों के विरुद्ध की जाने वाली बातों का विरोध करना या उसे अनदेखा करना बहिष्कार कहलाता है। हिंदी फिल्मी दुनिया में आज इसे नई बीमारी के रूप में देखा जा रहा है परंतु यह कोई नया नहीं है, हां प्रदर्शन का तरीका जरूर बदल गया है। पहले फिल्मों के पोस्टर फाडे या जलाए जाते हैं अब सोशल मीडिया पर बहिष्कार आंदोलन छिड गया है।

कलात्मक अराजकता पर अदालत भी सख्त

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ओटीटी पर दिखाई जाने वाली सामग्री को लेकर अब एक दिशानिर्देश जारी कर दिया है लेकिन इस दिशानिर्देश में न तो सजा का प्रावधान है और न ही किसी प्रकार के दंड का। सर्वोच्च अदालत ने इस पर कड़ी टिप्पणी की है, इसलिए सरकार की ओर से अब पुनर्विचार किया जा रहा है।

कलात्मक स्वतंत्रता या बदनाम करने का षड्यंत्र

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चूंकि वेब सीरीज के लिए किसी तरह का कोई नियमन नहीं है इसलिए वहां बहुत स्वतंत्र नग्नता और अपनी राजनीति चमकाने या अपनी राजनीति को पुष्ट करने वाली विचारधारा को दिखाने का अवसर उपलब्ध है। लेकिन अब वक्त आ गया है कि सरकार इन वेब सीरीज के नियमन के बारे में जल्द से जल्द विचार करें।

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