राजनीतिक शुचिता के पुरोधा पं. दीनदयाल उपाध्याय

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पं. दीनदयाल के लिए राजनीतिक अस्तित्व से अधिक राजनीतिक शुचिता और अस्मिता की चिंता जीवन पर्यन्त रही और उन्होंने सीना ठोंककर उसे सफलीभूत किया, क्योंकि उनके लिए सिद्धांत अमूल्य थे, राजनीति उनके लिए सफलता-विफलता का दर्पण नहीं थी| पंडितजी के इस जन्मशती वर्ष पर प्रस्तुत यह आलेख-

एकात्म मानवदर्शन में विकास और सुशासन की सुरभि

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भौतिक विकास के साथ आज पग-पग पर नियमों को दरकाने अथवा उन्हें शिथिल करने की परिपाटी बन चुकी है, लेकिन पं. दीनदयाल को यह कतई बर्दाश्त नहीं था| विकास के लिए सुशासन को पहली शर्त मान कर स्वयं सिद्धांतों को जी कर दिखाने के लिए वे कृतसंकल्प थे|

नरेन्द्र मोदी का विकास माडल

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आगामी लोकसभा चुनावों के बारे में अभी तक जो पूर्वानुमान आए है उनमें भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को सर्वाधिक सीटें मिलने की उम्मीद है और भाजपा का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन होगा।

 राष्ट्रीय क्षितिज पर राजनैतिक बदलाव

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पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को राजनैतिक विश्लेषकों ने जहां सेमीफाईनल कहकर देश की राजनीति के बदलते तेवरों का संकेत माना वहीं कांगे्रस ने पार्टी की पराजय पर हताशा जताते हुए इन कयासों को जन्म दिया कि आने वाला लोकसभा चुनाव उसके लिए बेहद अप हिलटास्क बन चुका है।

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