70 वर्षों से संजोए ख्वाब  पूरे करेगा लद्दाख

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अनुच्छेद 370, 35ए हटने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का सबसे ज्यादा जश्न यदि कहीं मनाया गया तो वह लद्दाख था। इस निर्णय के बाद लद्दाख के सांसद जे.एस. नामग्याल का संसद में दिया गया भाषण पूरे देश में यादगार बन गया। 70 वर्षों के बाद लद्दाखियों की आकांक्षाएं पूरी हुईं और केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पहली दीवाली लद्दाख मना रहा है।

    कश्मीरी युवा नई दिशा की ओर

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जम्मू-कश्मीर जैसे महत्वपूर्ण राज्य में राज्य से संबंधित विषयों पर विपरीत विचार और दृष्टिकोण रखने वाले दो राजनीतिक दलों की गठबंधन की सरकार अंततः 3 वर्षों  बाद टूट गई। गठबंधन में साथी रही भाजपा ने गठबंधन से बाहर निकलने का फैसला पिछले माह लिया। सरकार से समर्थन वापस लेने के कई कारण भाजपा ने बताए, जिनमें से देश की अखण्डता और सुरक्षा सबसे ऊपर थी। इन 3 वर्षों में भी वैसे जहां तक देश की सुरक्षा की बात थी तो सामरिक दृष्टि से केन्द्र सरकार और भारतीय सुरक्षा बलों ने कोई ढील जम्मू-कश्मीर राज्य में नहीं बरती। लेकिन फिर भी जहां तक राज्य के भीतर विशेषकर कश्मीर घाटी में कानून व्यवस्था और अराजक तत्वों से निपटने का सवाल था तो राज्य में मुख्यमंत्री रहीं महबूबा मुफ्ती हमेशा से ही असमंजस की स्थिति में रहीं।

देर आए, दुरुस्त आए!

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केंद्र सरकार के पास अब पूरा मौका है जो काम गठबंधन की मजबूरियों के चलते वह अब तक नहीं कर सकी, वह इस दौरान करे। 2019 के चुनावों से पहले देश की जनता को उन्हें आश्वस्त करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर की सभी समस्याओं के अंत के लिए वह प्रतिबद्ध है।

एकीकरण की युवा भावना

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जम्मू और लद्दाख के साथ-साथ अब कश्मीर घाटी में भी कोई युवा अलगाववाद का सर्मथन करता नहीं मिल रहा है| घाटी में भी केवल तीन जिलों में ही देशद्रोहियों का प्रभाव है| उन्हें अब तो पैसे देकर भी पत्थरबाज नहीं मिल रहे हैं| देश की एकता के लिए राज्य का युवा पहले भी बलिदान दे चुका है और आज भी दे रहा है| युवा मन तो अपने देश भारत के साथ है, उसकी अखण्डता के लिए है|

जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति एवं अनुच्छेद ३५ (ए)

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१५ अगस्त १९४७ को भारत स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता के साथ ही अंग्रेजों और कुछ स्वार्थी राजनेताओं ने पंथ के नाम पर देश को दो हिस्सों में बांट दिया। एक हिस्से को मुस्लिम राष्ट्र घोषित कर पाकिस्तान बना दिया गया। स्वतंत्रता के समय भारत में कुल ५६५ से भी अधिक रि

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