विस्थापन, विस्थापन, विस्थापन!
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विस्थापन, विस्थापन, विस्थापन!
जरूरी है कि विस्थापन की पीड़ा को समझा जाए। विडंबना यह है कि अपने विस्थापन की पीड़ा को तो लोग समझते हैं, लेकिन दूसरों के विस्थापन के लिए अंधे, गूंगे और बहरे बन जाते हैं। नौकरी में तबादले आम बात है। एक शहर से दूसरे शहर की बात तो दूर, एक ही शहर में एक कार्या