मातेश्वरी

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मां मैं आपको समझना चाहती हूं, आपके मन की बातें सुनना चाहती हूं, जीवन की वे हिदायतें सुनना चाहती हूं जो हम सब भाई बहनों को देती थीं. मुझसे पहले की तरह घर का काम करवाओ, डांटो, तरस गई तुम्हारी डांट खाने के लिये, प्लीज मां. ’

मनहूस दिन

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गीता के जीवन का संगीत मधुर-मधुर धीमी गति से चल रहा था। पिता कारपेन्टर का काम करते थे, थोड़ी बहुत आय खेती-बाड़ी से हो जाती। घर की गाड़ी ठीक-ठाक चल जाती। किशोरावस्था के सपने गीता भी देखती, उच्च शिक्षा प्राप्त कर टीचर बनने की।

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