पहले ‘नमस्ते!’
‘हिंदुस्तानी प्रचार सभा’ में गत 1516 वर्षों से मैं विदेशियों को हिंदी सिखा रही हूं । वैसे तो मेरा पूरा जीवन ही हिंदी शिक्षण के प्रति समर्पित रहा हैस्नातक स्तर तक असंख्य छात्राओं को मैंने हिंदी सिखायी है । उनमें से कुछ तो उच्च पदों पर कार्यरत रहने के बाद अवकाश तक प्राप्त कर चुकी हैं।