पहले ‘नमस्ते!’

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‘हिंदुस्तानी प्रचार सभा’ में गत 15‡16 वर्षों से मैं विदेशियों को हिंदी सिखा रही हूं । वैसे तो मेरा पूरा जीवन ही हिंदी शिक्षण के प्रति समर्पित रहा है‡स्नातक स्तर तक असंख्य छात्राओं को मैंने हिंदी सिखायी है । उनमें से कुछ तो उच्च पदों पर कार्यरत रहने के बाद अवकाश तक प्राप्त कर चुकी हैं।

छतरी

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मैं हॉस्टल के अपने कमरे में पहुंची तो चमेली बाई मेरे पीछे‡पीछे आयी। ‘बाप‡रे‡बाप। क्या बारिश। कसम से, हमारे मुलुक में ऐसी बारिश कभी नहीं होती।’ मैं अपने भीगे बालों से पानी निचोड़ते हुए उसकी शिकायत सुनती रही, ‘मैंने आपसे कहा नहीं था कि छतरी ले जाइए? नहीं कहा था?

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