लोक संगीत लोक गीतों की आत्मा

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भारत का लोक संगीत ग्रामीणांचल, वनांचल और गिरिअंचलों में पसरा पड़ा है। जितने विविध क्षेत्र उससे भी अधिक तरह के नृत्य, उतने ही तरह के गीत और वाद्य तंत्र होते हैं। इन नृत्यों, गीतों और वाद्यों में उस अंचल की स्पष्ट विशेषता परिलक्षित होती है। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक शताधिक प्रकार के वाद्य यंत्र, गायन पद्धति, नृत्य शैली तथा गीत पाए जाते हैं।

रक्षा- बंधन : उत्सव एक, रूप अनेक

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भारतीय संस्कृति-परंपरा में अनेक उत्सव मनाये जाते हैं। सभी उत्सवों के पीछे एक निहित भावना होती है और उसमें एक सामाजिक कारण छिपा होता है।

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