युवाओ उठो, अपनी असीम शक्ति को जगाओ

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“युवाओ, तुम्हारे अंदर असीम शक्ति है। तुम्हें शक्तिशाली बनना है। अन्यथा तुम किसी भी वस्तु पर विजय कैसे प्राप्त करोगे? अपने अंदर झांको और उन गुणों को देखो, जो समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी हो सकते हैं, उन्हें और विकसित करना चाहिए। कोई दूसरा हमें नहीं सुधार सकता, हमें…

विवेकानंद की दृष्टि में आदर्श युवा

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भारत के युवाओं को स्वामी विवेकानंद ने उस गुलामी के कालखंड में जो संदेश दिया था, वह आज भी समीचीन है| स्वामीजी युवाओं से कहते थे, ‘‘उठो, जागो, रुको मत, जब तक मंजिल पर ना पहुंचो तब तक चलते जाओ|’’ वे ऐसे युवाओं की कल्पना करते थे जो धर्माचरण करनेवाला हो, परिश्रमी हो, बलवान हो, ज्ञानवान हो और देशभक्त हो|

सर्व समावेशी हिंदुत्व का सन्देश‡ स्वामी विवेकानंद

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प्रस्तुत लेख स्वामी विवेकानंद के विभिन्न अवसरों पर दिये उद्बोधनों का अंश मात्र है, इसमें संकलनकर्ता ने अपनी ओर से एक शब्द भी नहीं जोड़ा है।

सामाजिक समरसता के पुरोधा स्वामी विवेकानंद

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भारत की दुरावस्था का कारण और निदान स्वामी जी की दृष्टि में- स्वामी विवेकानंद जी की मान्यता थी की भारतीय जीवन दर्शन दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। इतने श्रेष्ठ जीवन दर्शन के बाद भी सामाजिक विषमता की खाई देखकर उन्हें गहन वेदना होती थी।

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