पर्यावरण और वनवासी सहजीवन की मिसाल

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पर्यावरण की व्याख्या व्यापक है| संक्षेप में हम कह सकते हैं कि  हम अपनी सभी इंद्रियों- तात्पर्य ज्ञानेंद्रियों, कर्मेद्रियों और अंत:करण (मन, बुध्दि, चित्त, अहंकार) - से जो भी अनुभव, अनुभूति लेते हैं वह सभी पर्यावरण का ही घटक है|

पूर्वोत्तर में वनवासी कल्याण आश्रम का कार्य

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कल्याण आश्रम के कार्यों का विस्तार वर्ष १९७७-७८ में पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के वनवासी क्षेत्रों में करने का निश्चय किया गया। १९७७ में पश्चिम बंगाल में ‘पूर्वांचल कल्याण आश्रम’ नाम से संस्था को पंजीबध्द किया गया था। प्रारंभ में इसी नाम से कार्य करने की योजना बनी।

आधुनिक ॠषी

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इस वर्ष २७ जुलाई को हमारे पूर्व राष्ट्रपति महामहिम डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के अचानक निधन के समाचार को सुनकर हृदय पीड़ा से भर गया। वे मनुष्य में उत्तमोत्तम गुणों की साकार मूर्ति थे। उनका सम्पूर्ण जीवन गीता में उल्लेखित आदर्श कर्मयोग

वनवासी कल्याण आश्रम

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वनवासी समाज राजनैतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक व भौगोलिक कारणों से आज पिछड़ा हुआ दिखता है। स्वतंत्रता मिली थी, तब अंग्रेजों ने भारत को अनेक टुकड़ों में बांटने का तय किया था जिसके लिए उन्होंने भारत में राज्य स्थापना के बाद से ही प्रयास प्रारंभ किए जो राजनैतिक, प्रशासनिक, शैक्षणिक, कानूनी आदि विविध नीतियों के माध्यम से होता रहा।

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