पर्यावरण और वनवासी सहजीवन की मिसाल
पर्यावरण की व्याख्या व्यापक है| संक्षेप में हम कह सकते हैं कि हम अपनी सभी इंद्रियों- तात्पर्य ज्ञानेंद्रियों, कर्मेद्रियों और अंत:करण (मन, बुध्दि, चित्त, अहंकार) - से जो भी अनुभव, अनुभूति लेते हैं वह सभी पर्यावरण का ही घटक है|