इन्ही के स्वाभिमान की चिंगारी क्रांति का दावानल बनी

Continue Readingइन्ही के स्वाभिमान की चिंगारी क्रांति का दावानल बनी

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में 1857 की क्रान्ति को सब जानते हैं। यह एक ऐसा सशस्त्र संघर्ष था जो पूरे देश में एक साथ हुआ । इसमें सैनिकों और स्वाभिमान सम्पन्न रियासतों ने हिस्सा लिया । असंख्य प्राणों की आहूतियाँ हुईं थी । इस संघर्ष का सूत्रपात करने वाले स्वाभिमानी सिपाही…

आर्य संस्कृति को समर्पित महाशय राजपाल का बलिदान

Continue Readingआर्य संस्कृति को समर्पित महाशय राजपाल का बलिदान

दासता के दिनों में भारतीय अस्मिता पर चौतरफा हमला हुआ है । आक्रांताओं ने केवल सत्ताओं को ही ध्वस्त नहीं किया अपितु भारतीय संस्कृति और साहित्य को भी विकृत करने का प्रयास किया है । एक ओर यदि भारतीय जन स्वाधीनता संघर्ष के लिये आगे आये तो दूसरी ओर भारतीय…

स्वाभिमान और स्वराष्ट्र के लिये जीवन समर्पित

Continue Readingस्वाभिमान और स्वराष्ट्र के लिये जीवन समर्पित

भारत राष्ट्र के स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा केलिये हुये असंख्य बलिदानों में झलकारी बाई का भी एक ऐसा नाम है जिनका संघर्ष स्वयं के लिये नहीं था । न तो स्वयं के लिये राज्य प्राप्ति की चाह थी और न अपना कोई हित । पर उन्होंने संघर्ष किया और…

क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान 

Continue Readingक्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान 

सार्वजनिक जीवन या पत्रकारिता में ऐसे नाम विरले हैं जिनका व्यक्तित्व व्यापक है और जो विभिन्न विचारों में समन्वय बिठा कर राष्ट्र और संस्कृति की सेवा में समर्पित रहे हों । ऐसे ही  क्राँतिकारी पत्रकार थे गणेश शंकर विद्यार्थी । उन्हे उनके जीवन में और जीवन के बाद भी सब…

भारतीय काल गणना में है वैज्ञानिक अनुसंधान के पहलू

Continue Readingभारतीय काल गणना में है वैज्ञानिक अनुसंधान के पहलू

आज सृष्टि के विकास आरंभ का दिन है, और संसार के लिये कालगणना के लिये नवसंवत्सर । अर्थात नये संवत् वर्ष का प्रथम दिन है। आज से विक्रम संवत् 2080 और युगाब्द 5125 आरंभ हो रहा है। इस संवत्सर का आरंभिक नाम नल और 24 अप्रैल से पिंगल होगा। वर्ष…

11 मार्च 1689 छत्रपति सम्भाजी महाराज का बलिदान

Continue Reading11 मार्च 1689 छत्रपति सम्भाजी महाराज का बलिदान

पिछले दो हजार वर्षों में संसार का स्वरूप बदल गया है । बदलाव केवल शासन करने के तरीके या राजनैतिक सीमाओं में ही नहीं हुआ अपितु परंपरा, संस्कृति, जीवनशैली और सामाजिक स्वरूप में भी हुआ है । किंतु भारत इसमें अपवाद है । असंख्य आघात सहने के बाद भी यदि…

तीन हजार क्षत्राणियों का अग्नि प्रवेश..

Continue Readingतीन हजार क्षत्राणियों का अग्नि प्रवेश..

आठ मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तिथि है । इस दिन पहली बार 1907 में न्यूयार्क की सड़कों पर महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिये एक विशाल प्रदर्शन किया था । लेकिन भारतीय इतिहास में आठ मार्च की तिथि एक ऐसी घटना का स्मरण कराती है जिसमें तीन हजार राजपूतानियों…

गदरपार्टी के संस्थापक लाला हरदयाल का बलिदान

Continue Readingगदरपार्टी के संस्थापक लाला हरदयाल का बलिदान

सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी और विचारक लाला हरदयाल की गणना उन विरले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में होती है जिन्होंने केवल भारत ही नहीं अपितु अमेरिका और लंदन में भी अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध जनमत जगाया था । लालाजी को अपने पक्ष में करने केलिये अंग्रेजों ने बहुत प्रलोभन दिये । उस…

पू. सरसंघचालक के वक्तव्य का संदर्भ

Continue Readingपू. सरसंघचालक के वक्तव्य का संदर्भ

संत शिरोमणि रविदास जयंती के अवसर पर पू. सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा कही बातों पर राष्ट्रविरोधी जनों ने विरोध करना शुरू कर दिया कि उन्होंने ब्राह्मणों का अपमान कर दिया, जबकि उन्होंने कहीं पर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग ही नहीं किया था। कुतर्क करने वालों के लिए संघ पहले ब्राह्मणवादी…

राष्ट्र और समाज को दिया सारा जीवन

Continue Readingराष्ट्र और समाज को दिया सारा जीवन

हजार वर्ष की दासता के अंधकार के बीच यदि आज राष्ट्र और संस्कृति का वट वृक्ष पुनः पनप रहा है तो इसके पीछे उन असंख्य तपस्वियों का जीवन है जिन्होंने अपना कुछ न सोचा । जो सोचा वह राष्ट्र के लिये सोचा, समाज के लिये सोचा और संस्कृति रक्षा में…

रानी फूलकुंवर के साथ वीरांगनाओं का अग्नि प्रवेश

Continue Readingरानी फूलकुंवर के साथ वीरांगनाओं का अग्नि प्रवेश

भारत राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिये केवल युद्ध के मैदान में ही बलिदान नहीं हुये अपितु हजारों लाखों महिलाओं ने स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा केलिये अग्नि में प्रवेश करके अपना बलिदान किया है जिसे इतिहास ने जौहर के नाम से संबोधित किया है । ऐसे जौहर यूँ…

स्वतंत्रता के बाद समाज और संस्कृति की प्रतिष्ठा का संघर्ष

Continue Readingस्वतंत्रता के बाद समाज और संस्कृति की प्रतिष्ठा का संघर्ष

भाई उद्धवदास जी मेहता देश के उन विरले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में एक हैं जो दस वर्ष की बालवय में स्वाधीनता संघर्ष केलिये सामने आये और पन्द्रह वर्ष की आयु में बंदी बनाये गये । उनका सारा जीवन समाज, संस्कृति और राष्ट्र की सेवा और संघर्ष में बीता । स्वाधीनता…

End of content

No more pages to load