संगीत सम्राट उस्ताद रजब अली खां साहब

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खां साहब पल भर के लिए भी स्वर संवेदन नहीं बिसरे थे जिसकी अनुभूति कई बार श्रोताओं ने अनुभव की है।... राग की विशालता परखना और उसे गहराई से गाना उनका स्वभाव था। संगीत जगत की अनंतता के प्रति उनकी अटूट आस्था थी। वे संगीत जगत की एक बहुमूल्य हस्ती थे, जिनकी चौंका देने वाली पेशकश अविस्मरणीय होती थी।

बाल गंधर्व का अंदाजे-बयां क्या करें

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उन्नसवीं सदी के मध्य काल संगीत नाटकों का काल माना जाता है। मराठी रंगमंच ने बाल गंधर्व के रूप में ऐसा कलाकार दिया जिसका जादू आज भी कम नहीं हुआ है। उनकी स्त्री भूमिकाएं इतनी सजीव हुआ करती थीं कि महिलाओं में उन्हीं की शैली फैशन बन जाती थी। हाल में उन पर मराठी में एक फिल्म भी बनी है।

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