भारत के राष्ट्रत्व का अनंत प्रवाह

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भारतीय दर्शन, भारत की राष्ट्र की अवधारणा अपने आप में समृद्ध और सम्पूर्ण है। इस प्रकार यह पुस्तक किसी भी राष्ट्र का भारतीय दर्शन समझाने वाले चिन्तक या जिज्ञासु के पुस्तकालय के लिए अत्यावश्यक है। मैं तो यहां तक कहूंगा कि यह पुस्तक सभी विभूषित विद्वानों और तथाकथित विद्वानों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भेंट की जानी चाहिए, ताकि उनकी आंखों और मस्तिष्क में जमी धूल कुछ तो साफ़ हो।

  लोकगीतों और संगीत का हिंदी फिल्मों पर प्रभाव

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  अपना इतिहास अपने लोक गीतो में सुरक्षित है, वर्ना नया मार्क्सिस्ट इतिहास तो हमें मुग़लों और अंग्रेजों के शासन के अलावा कुछ बताता ही नहीं। राजस्थान के लोक गीत न होते तो मेवाड़ के राणाओं की गाथा और जौहर के किस्से तो मिथक ही कहलाते। आल्हा उदल की कहानी…

कौन खौफ खाता है संघ से?

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अराजकता का रास्ता है, अलोकतांत्रिक है, गड़बड़ी फैलाने का आवाहन है आदि आदि। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के फीछे साम्प्रदायिक शक्तियों (यानी रा स्व संघ अर्थात आरएसएस) का हाथ होने के बेबुनियाद आरोपों के बारे में भी लगभग उसी तरह की अनर्गल भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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