समाजसेवा ही लक्ष्य
समाज सेवा करने की प्रतिज्ञा लेने वाले तथा जीवनभर उसे निभाने वाले समाज में कुछ बिरले लोग दिखाई देते हैं। इन्हीं में से ेएक हैं सुरेंद्र तालखेडकर जी।
समाज सेवा करने की प्रतिज्ञा लेने वाले तथा जीवनभर उसे निभाने वाले समाज में कुछ बिरले लोग दिखाई देते हैं। इन्हीं में से ेएक हैं सुरेंद्र तालखेडकर जी।
जीवन विद्या मिशन के शिल्पकार स्वर्गीय वामनराव पै कहते थे, ‘संस्कृति समाज की आत्मा है, केवल स्वार्थ का विचार विकृति को जन्म देता है, तो संस्कारों के सिंचन से संस्कृति समृद्ध बनती है।’