दुबला मन, मोटा तन

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अकसर लोग किसी की नज़र लग जाने से अपने आपको दुबला हुआ मान लेते हैं, पर इन मोटों को तो किसी की नज़र भी नहीं छूती। क्योंकि, तन तो मोटा हो गया, जिसने मन को दुबला बना दिया।

अब नहीं चाहिए घूंघट

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कभी परम्पराओं के नाम पर तो कभी रीति-रिवाज़ और ढकोसलों के चलते महिलाओं को अब तक बहुत छला गया है। परन्तु अब स्त्री जाति को इन वाहियात प्रथाओं से मुक्ति हेतु अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। उन्हें खुद ही घूंघट से बाहर निकलकर आगे बढ़ना होगा।

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