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दुबला मन, मोटा तन

दुबला मन, मोटा तन

by शशि श्रीवास्तव
in महिला, मार्च २०२० - सुरक्षित महिला विशेषांक, सामाजिक
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अकसर लोग किसी की नज़र लग जाने से अपने आपको दुबला हुआ मान लेते हैं, पर इन मोटों को तो किसी की नज़र भी नहीं छूती। क्योंकि, तन तो मोटा हो गया, जिसने मन को दुबला बना दिया।

मोटापा एक बड़ी बीमारी तो है ही परंतु तब वह और अधिक भयानक रूप  ले लेती है, जब मोटे लोगों को उनका मोटापा याद करा-कर लोग उन्हें और मोटा बना देते हैं। न तो मोटे इंसान पर कोई भी तरस खाता है और न ही उसके प्रति भावुकता प्रकट करता है। मोटा इंसान कितना भी गम्भीर बीमार हो जाए फिर भी उस पर कोई विश्वास नहीं करता। कभी-कभी तो उसकी सेहत देख कर उसके घर वाले, बाहर वाले एवं ऑफिस वाले उसकी बीमारी को बहानेबाजी ही समझ बैठते हैं। यहां तक कि उससे काम भी अधिक लेने की कोशिश की जाती है। मोटा इंसान कितना ही काम कर-कर के थक कर चकनाचूर हो गया हो पर उसके शरीर और चेहरे पर थकान की ज़रा भी शिकन नज़र नहीं आती।

इसके अलावा मोटे लोगों को एक से बढ़ कर एक सलाह देने वालों की भी कोई कमी नहीं होती है। कोई उनको डाइट पर ध्यान देने को कहता है, तो कोई एक्सरसाइज करने को कहता है और हद तो तब होती है जब कोई सीकिया पहलवान और मोटा इंसान एक ही डाइनिंग टेबल पर खाना खा रहें होते हैं और सीकिया पहलवान के बीस-पच्चीस रोटियां डकार जाने पर भी उसके चेहरे से यही लगता कि वह पता नहीं कितने दिनों से भूखा है। दूसरी ओर बेचारा मोटा इंसान उस सीकिया के सामने शरमा-शरमा कर गिन गिन कर दो या तीन ही रोटी खा पाए तो भी दिखाई ऐसा देगा जैसे कि दुबले-पतले इंसान यानि कि सीकिया पहलवान का सारा भोजन छीन कर उसने खा लिया हो। पार्टी या होटल में अक्सर देखने को मिलता है कि साथ वालों की नज़रे मोटे इंसान की ही थाली पर ही टिकी रहती हैं, भले ही उसके साथ वाला इंसान दुबला होकर भी कई गुना ज्यादा भोजन निगलता जा रहा हो अंतत: बदनाम बेचारा मोटा इंसान ही होता है।

यह भी एक चिंतनीय विषय है कि जब कोई मोटा डॉक्टर किसी पेशंट को दुबले होने की सलाह भी शरमा-शरमा कर ही देता है।

आजकल बाजार में मोटापा कम करने के कई प्रोडक्ट्स आ रहे हैं। इन प्रोडक्ट्स के विज्ञापन भी टीवी पर खूब छाए रहते हैं। इन विज्ञापनों मेें जो मॉडल होती हैं उनको ऐसे दर्शाया जाता है मानो उस प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करके ही वह एकदम स्लिम-ट्रिम हुई हो। विज्ञापनों में उन मॉडल्स के फिगर को ऐसे दर्शाया जाता है कि उन पर पुरूष ही क्या स्त्रियां भी लट्टू हो जाती हैं। मोटा इंसान प्रोडक्ट देखते ही दुबले होने के ख्वाब बुनने लगता है। मोटे लोगों को तो प्रोडक्ट निर्माता आकर्षित करने में सफल तो रहते हैं। इन प्रोडक्ट्स से मोटों का वजन हल्का हो या न हो लेकिन उनकी जेब ़ज़रूर हल्की हो जाती है। मोटा व्यक्ति दवा की पहली खुराक मुंह में रखते ही सपने देखने लगता है। यहां तक कि कुछ लड़के-लड़कियां तो फिल्मी स्टाइल में हीरो-हीरोइन बनने के सपने भी संजो बैठते हैं।

कई बार तो यह भी देखा गया है कि तीन-चार लोगों वाले एक ही परिवार में एक ही मोटा व्यक्ति होता है। बाकी सदस्य एक दम सीकिया कबाब जैसे नज़र आते हैं। उस मोटे सदस्य को देख कर लोग प्राय: सोचते होंगे कि बेचारा घर के सभी सदस्यों का भोजन मोटा सदस्य ही डकार जाता होगा। कुछ लोग तो इतने ढीठ होते हैं कि प्राय: पूछ ही बैठते हैं कि तुम किस चक्की का आटा खाते हो। भला ये भी कोई पूछने वाली बात है। इनको कौन समझाए कि मोटे लोगों के लिए अभी तक कोई स्पेशल चक्की नहीं बनाई गई है।

जब भी मोटा इंसान किसी शो रूम में जाता है, शो रूम के बाहर रखे सुंदर डे्रस में सजे पुतलों को देख कर उसे यही लगता है मानो वे उस मोटे व्यक्ति को चिढ़ा रहे हों। हां, मोटे लोगों को अपने लिए डे्रस खरीदने में भी बड़ी दिक्कत होती है। पूरे मार्केट में घूम लो इक्का-दुक्का ड्रेस मिलती भी है तो वह भी मनपसंद नहीं…..मन मार कर बेढंगा ड्रेस भी खरीदना ही पड़ जाता है।

मोटों को देखकर दुबला व्यक्ति तो ऐसे इतराता है जैसे कि वह रात-दिन पता नहीं कितनी एक्सरसाइज करता हो या फिर अपने आपको स्लिम रखने के लिए डाइट का पूरा-पूरा ख्याल रखता हो। जब कि इसके उलट दुबला व्यक्ति बेपरवाह हो हवसी की तरह भोजन करता है एवं सुबह दस-ग्यारह बजे के पहले सोकर भी नहीं उठता है।

मोटे व्यक्ति को हमेशा दूसरों के सामने अपने आपको चुस्त-दुरूस्त दिखने के लिए तत्पर रहना पड़ता है। जिससे कि कोई यह न कह दे कि वह आलसी या निकम्मा है, तभी उसका मोटापा बढ़ रहा है। मोटा व्यक्ति गोल-गप्पा खाने बैठे तो भी अक्सर उसे दूसरों का यह डायलॉग सुनने को मिलता है- खुद तो गोल-गप्पा हो रहा है फिर भी गोल-गप्पे खाए जा रहा है।

पार्कों में भी अधिकतर मोटे व्यक्तियों को ही सालों-साल भागते-दौड़ते एवं योग करते देखा जाता है। इसके बावजूद भी उनका वजन टस से मस नहीं होता। हमारी पड़ोसन मिसेज शर्मा तो अपने डॉगी को लेकर रोज सुबह-सुबह घूमने निकल जाती हैं इससे उनका डॉगी ही और स्लिम हुआ पर उनकी सेहत पर कोई असर नहीं हुआ।

अक्सर लोग किसी की नज़र लग जाने से अपने आपको दुबला हुआ मान लेते हैं, पर इन मोटों को तो किसी की नज़र भी नहीं छूती।

अंत में मैं यही कहना चाहूंगी कि ऐसा भी नहीं है कि मोटापे से व्यक्ति को नुकसान ही नुकसान हुआ हो। मोटे व्यक्ति को कई बार अपने मोटापे का फायदा भी मिल जाता है। खासकर जब कार में बैठने वाले लोग ज्यादा हो तो उस समय मोटे व्यक्ति को ही उसके मोटापे के कारण कार की अगली सीट पर खुल कर बैठने का मौका मिलता है और पिछली सीट पर सभी लोगों को सिमट कर बैठना पड़ता है। किसी मोटी महिला को देख कर पहले टुनटुन की उपमा दी जाती थी। जैसे कि आज प्रसिद्ध हास्य कलाकार भारती नज़र आने लगती है। जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि टुनटुन और भारती ने खासकर अपने मोटापे के कारण ही हास्य जगत में विशेष पहचान पायी थी। अत: मोटे व्यक्ति को इतना निराश होने की भी जरूरत नहीं है। ऊपर वाला चाहेगा तो उनका करियर भी बुलंदियों को छू सकता है।

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Tags: empowering womenhindi vivekhindi vivek magazineinspirationwomanwomen in business

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