तबादला

Continue Readingतबादला

मंत्री बांके बिहारी का दरबार सजा हुआ था। दरअसल जब भी मंत्री जी अपने घर आते, तो इलाके के सब अफसरान उनकी अर्दल में हाजिर होते। और जो अनुपस्थित होते, उनका बाकायदा नोटिस लिया जाता। उनका निजी सहायक तुरन्त फोन करता और मंत्री जी खरी-खोटी सुना देते। इसलिए ज्या

उसकी आवाज

Continue Readingउसकी आवाज

फिन्टू रिरिया रहा था। उसकी आवाज में दर्द था। उसे लगा उसका बापू भी उसकी फरियाद को अनसुना कर रहा था, परन्तु वह थोड़े-थोड़े अन्तराल के बाद कराह उठता... बापू, मुझे किसी बड़े अस्पताल में ले चलो... दिल्ली न सही, चण्डीगढ़ ही ले चलो। यहां तो मैं मर जाऊंगा। यहां न कोई ढंग का अस्पताल है और न ही डॉक्टर... हाय वो परमात्मा ने क्यों मुझे पहाड़ों में फैंक दिया।

End of content

No more pages to load