‘ईश्वरीय कण’ की मूल परिकल्पना भारतीय की

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ब्रह्मांड अति विशाल है। उसमें अतिविशाल आकाशगंगाएं, तारे, सूक्ष्म रेत-धूलि कण और उनमें अदृश्य परमाणु है। परमाणु में भी शक्ति के मूल एवं आधार कई कण अर्थात झरीींळलरश्री हैं।

अकबर बीरबल की नई कहानी

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शाहंशाह, जिल्ले सुभानी, बादशाह अकबर छोटे दरबार में बिराजे थे। वहां एक समस्या पर विचार चल रहा था। बात स्वयं बादशाह ने ही आरंभ की थी। उस दरबार-कक्ष के बीच पानी से कुछ भरी बाल्टी और लोटा रखा था।

प्राचीन विमान विद्या

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विमान विद्या के क्षेत्र में आज भले हमने उड़ान भरी हो, लेकिन इसके तंत्र को महर्षि भारव्दाज ने हजारों साल पहले बता दिया था। पुराणों में भी पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है। इससे यह संकेत मिलता है कि इस विद्या के जनक भारतीय ऋषि वैज्ञानिक थे। उनके ग्रंथ आज पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं है। महर्षि भारव्दाज के ग्रंथ का कुछ भाग उपलब्ध है, जिसे राजा भोज ने सम्पादित किया था।

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