नागरिकों में “स्व” का भाव जगाना आवश्यक

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भारत में अब “स्व” पर आधारित दृष्टिकोण को लागू करने की सख्त आवश्यकता है। जापान, इजरायल, ब्रिटेन, जर्मनी आदि देशों ने भी अपने नागरिकों में “स्व” का भाव जगाकर ही अपने आपको विकसित देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। भारत सहित उक्त चारों देशों ने भी एक तरह से वर्ष 1945 के द्वितीय विश्व युद्ध अथवा इसके पश्चात ही विकास प्रारम्भ किया है। भारत चूंकि वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अपने नागरिकों में “स्व” का भाव जागृत नहीं कर सका अतः वह आज भी विकासशील देश की श्रेणी में संघर्ष कर रहा है। “स्व” आधारित दृष्टिकोण के अभाव में भारत को आज जिस स्थान पर पहुंच जाना चाहिए था, वहां नहीं पहुंच सका है। अतः भारत को यदि पुनः विश्व गुरु बनना है तो अपने नागरिकों में “स्व” का भाव जगाना ही होगा। यह संकल्प आज हम सभी नागरिकों को लेना चाहिए।

धर्मांतरण षड्यंत्र का वैश्विक केंद्र वेटिकन सिटी

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यह सारे बिल्डिंग वेटिकन सिटी के ऑडिट कार्यालय है और मुझे यह जानकर बड़ा आश्चर्यचकित हुआ वेटिकन में करीब 4000 से ज्यादा चार्टर्ड अकाउंटेंट काम करते हैं और यह सभी ऑफिस उन्हीं चार्टर्ड अकाउंटेंट की है । खरबो डॉलर यहां आता है और फिर तमाम ईसाई मिशनरियों को दिया जाता है उसका ऑडिट होता है कितने लोगों का धर्मांतरण हुआ उसका हिसाब रखा जाता है चावल की बोरी से लेकर दूसरे सामान खरीदे जाते हैं।

मिशनरियों ने क्यों कि स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या ?

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कंधमाल उड़ीसा का वनवासी बहुल पिछड़ा क्षेत्र है। पूरे देश की तरह वहां भी 23 अगस्त, 2008 को जन्माष्टमी पर्व मनाया जा रहा था। रात में लगभग 30-40 क्रूर चर्चवादियों ने फुलबनी जिले के तुमुडिबंध से तीन कि.मी दूर स्थित जलेसपट्टा कन्याश्रम में हमला बोल दिया। 84 वर्षीय देवतातुल्य स्वामी लक्ष्मणानंद उस समय शौचालय में थे। हत्यारों ने दरवाजा तोड़कर पहले उन्हें गोली मारी और फिर कुल्हाड़ी से उनके शरीर के टुकड़े कर दिये।

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