यह आतंकवाद है या भयंकर युद्ध?

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एक बार प्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी ने पूछा था, ''जिस मजहबी विश्वास में मुसलमानों की इतनी श्रद्धा है, उसमें ऐसा क्या है जो सब जगह इतनी बड़ी संख्या में हिंसक प्रवृत्तियों को पैदा कर रही है?'' दुर्भाग्य से अभी तक इस पर विचार नहीं हुआ। जबकि पिछले दशकों में अल्जीरिया से लेकर अफगानिस्तान और लंदन से लेकर श्रीनगर, बाली, गोधरा, ढाका तक जितने आतंकी कारनामे हुए, उनको अंजाम देने वाले इस्लामी विश्वास से ही चालित रहे हैं। अधिकांश ने कुरान और शरीयत का नाम ले-लेकर अपनी करनी को फख्र से दुहराया है। इस पर ध्यान न देना राजनीतिक-बौद्धिक भगोड़ापन ही है।

सशक्त भारत से होगा मजहबी साम्राज्य पाकिस्तान का पतन

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पड़ोसी पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति खराब होती जा रही है. कर्ज वापसी के पैसे नहीं हैं. चीनी सीपेक योजना खटाई में है. बाढ़ बेहाल किये है. वे आईएमएफ के दरवाजे पर कटोरा लिए बैठे हैं लेकिन जहां तक कश्मीर में जेहाद का सवाल है, वहां कोई कमजोरी नहीं है. आतंकियों की खेप आती जा रही है. रूसी फेडरल सिक्योरिटी एजेंसी ने अपने यहां तुर्की में प्रशिक्षित एक आईएसआईएस के आत्मघाती हमलावर को पकड़ा है जिसे भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान के उच्चतम नेतृत्व को लक्षित करने का निर्देश था. इसका निहितार्थ क्या है ? भारतीय शीर्ष नेतृत्व क्यों पाकिस्तान के जेहादियों से लेकर तुर्की और आईएसआईएस के आतंकवादी समूहों का लक्ष्य बना हुआ है. देश के अंदर भी साम्प्रदायिक विभाजनकारी शक्तियां, सत्ता को आतुर क्षेत्रीय नेता हर प्रकार के दांवपेच चल रहे हैं. अपने सत्ता केंद्रों तक सीमित एकल राज्यीय दलों से किसी राष्ट्रीय विमर्श की अपेक्षा भी नहीं की जा सकती. संकटकाल लगातार चल रहा है. प्रछन्न राष्ट्रविरोधी, जेहादी, नक्सली, क्षेत्रीय अलगाववादी, विदेशों से वित्त पोषित एनजीओज संगठित होने का आभास दे रहे हैं. इन समस्त देशी-विदेशी शक्तियों का भविष्य खण्डित विभाजित भारत में है. एक 2047 का मजहबी एजेंडा खुलता है और एक राज्य की सरकार बदल जाती है.

किसी भी देश का इस्लामीकरण कैसे होता हैं ?

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आप उपरोक्त लेख पढ़ कर समझ ही चुके होंगे की भारत इस्लामिक देश बनने की कगार पर हैं सबसे मूल करण मुस्लिम आबादी का हिन्दुओ ईसाइयों और अन्य सभी से दोगुनी रफ़्तार से बढ़ना हैं इसका दूसरा प्रमुख कारण है भारत का फर्जी सेकुलरवाद जो भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की ओर अग्रसर हैं आप ये कहे सकते हैं के घोटाल अपराध भ्रष्टाचार में तो हिंदू भी आंगे हैं तो मुस्लिमो को दोष क्यों देना हमारा उत्तर हैं के हिंदू भ्रष्टाचार कर के हथियार नहीं खरीदते, ना ही उन हथियारों से वो पाकिस्तान में बम विस्फोट करते हैं ना ही राष्ट्र का ख्याल ना कर के आबादी बढ़ाते हैं मुस्लिम हर कदम अपनी कौम को ध्यान में रख के उठाते हैं और उनका अंतिम लक्ष्य होता हैं देश का इस्लामीकरण जबकि भ्रष्ट हिंदू को हिंदू राष्ट्र से कोई लेना देना नहीं होता आप ये भी सोच रहे होंगे के मुस्लिमो ने देश में बड़ा योगदान किया हैं जब हम उन गिने चुने लोगो को जानते हैं तो पता चलता हैं वो मुस्लिम हैं ही नहीं जैसेकी अब्दुल कलाम अग्नोस्टिक हैं,अज़ीम प्रेमजी का भी यही हाल हैं, अशफाक उल्लाखान  आर्य समाजी थे व हिंदू राष्ट्र का समर्थन करते थे मुस्लिमो ने जितना योगदान नहीं किया था, उस से ज्यादा बटवारे के तौर पर ले लिया बांकी आप अपने आस-पास मुस्लिम गतिविधियाँ देख कर लेख की सत्यता परख सकते हैं

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