उत्तर प्रदेश : पर्यटन से लगेंगे विकास के पंख

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प्रदेश सरकार की नई पर्यटन नीति बहुआयामी विकास को धार देने वाली है और यदि इसको सही ढंग से धरातल पर उतारा गया तो प्रदेश में धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन नई ऊर्चाइयों को छूने जा रहा है। पर्यटन को बढावा देने के लिए भी निवेशकों को विभिन्न योजनाओं  के अंतर्गत आकर्षित किया जा रहा है।  प्रदेश सरकार ने नई पर्यटन नीति में 22 नई गतिविधियों को जोड़ा है जिसमें बजट होटल, हेरिटेज होटल, स्टार होटल, हेरिटेज होम स्टे, इको टूरिज्म की ईकाइयां, कारवां टूरिज्म, यूनिट, प्रदर्शनी, तीर्थयात्रा, धर्मशालाएं, वेलनेस रिसार्ट, आल वेदर सीजनल कैंप, जलाशय, झील, वेलनेस टूरिज्म तथा  एडवेंचर टूरिज्म को भी शामिल कर लिया गया है। अब पर्यटन का विकास गांवों तक किया जायेगा। प्रत्येक गांव में किसी प्राचीन मंदिर, धरोहर व महापुरूषों से संबंधित स्थलों को चिन्हित करके उस गांव का भी विकास किया जाएगा। अमृत सरोवरों के माघ्यम से भी पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। 

भारतीय रेलवे स्टेशन पर विलायती

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महत्वपूर्ण बात यह कि एक युवा ब्रिटिश दंपती को चार बच्चों के साथ देखना सुखद था। हमारे देश का मध्यवर्ग तो अब एक बच्चे में ही टें बोल जा रहा। बहुत तो बच्चा चाहते ही नहीं। ये चार को लिए इस गर्मी में ग्वालियर जैसे गर्म क्षेत्र का भ्रमण कर रहे। मस्त..मगन, अपनी दुनिया में डूबे हुए लोग। मुझे अक्सर यह लगता है कि ये अलग अलग अनुभवों के साथ स्वदेश लौटते होंगे। कुछ लोगों को भारत बहुत अच्छा लगता होगा और कुछ अत्यंत कटु अनुभवों के साथ वापस जाते होंगे। फिलहाल मेरा यह मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत के लोगों में एक सांस्कृतिक परिवर्तन आया है। निश्चय ही उस परिवर्तन ने उनमें राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध को जगाया है। संभवतः उसी कर्तव्यबोध और दायित्व-धर्म के कारण निकट भविष्य में वे विदेशी अतिथियों को यहां सहज होने का अनुभव करा सकेंगे।

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