नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो

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रामधारी सिंह जी दिनकर ने यह कविता रची थी। तिरंगे को समर्पित यह कविता किस प्रकार आज नरेंद्र मोदी के नमो को उच्चारित और मंडित करती है। यह एक चमत्कार ही है। नरेंद्र मोदी जी को भी नमो कहते हैं। दिनकर की के शब्द तो तिरंगे को ही समर्पित हैं किंतु इसमें गूंजता नमो राग का आज के नमो से साम्य किसी दैवीय संयोग से कम नहीं लगता.. आज यह कविता उन Narendra Modi जी को समर्पित, जो तिरंगे के सम्मान हेतु इस कविता के प्रत्येक शब्द को अपनी सांसों से जीवंत करते हैं।

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