सावधान ….. वो रजाकारों वाला ओवैसी है

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शुरू में मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन को प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन ये पार्टी नाम बदलकर आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नाम से नए नेतृत्व के साथ 1957 में फिर से आ गयी। असद्दुदीन ओवैसी इसी पार्टी का प्रमुख है। विकास की कोई बात किये बिना सिर्फ मुहम्मडेन होने के नाम पर वो कई जगह इसलिए जीत जाता है क्योकि उन्हें याद है कि “रजाकार” कौन थे। उन्हें याद है कि काफिरों के साथ, कम्युनिस्टों के साथ, कांग्रेस के साथ, “रजाकार” क्या कर सकते हैं, क्या किया था। ये सिर्फ आप हैं जो भूल गए कि ओवैसी कौन है। जब ओवैसी पूछता है कि मोदी चला जायेगा, योगी अपने मठ में जायेगा, तब तुम क्या करोगे? तो ये कोई ऐसा सवाल नहीं जो बस पूछ लिया गया है। वो रजाकारों वाला ओवैसी है, इस सवाल का जवाब आपको सोचना तो होगा ही!

हैदराबाद नि:शस्त्र प्रतिरोध, निजाम रियासत का स्वरूप

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सितंबर 1938 से अगस्त 1939 के दौरान हैदराबाद राज्य में नागरिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया गया।हैदराबाद के पुराने नाम के कारण उसे 'भागानगर निःशस्त्र प्रतिरोध' भी कहा जाता है। यह संघर्ष प्रमुख रूप से आर्य समाज,हिंदू महासभा और स्टेट कांग्रेस द्वारा किया गया।प्रो. चंद्रशेखर लोखंडे द्वारा लिखित पुस्तक 'हैदराबाद मुक्ति संघर्ष का इतिहास' (श्री घूड़मल प्रह्लाद कुमार आर्य धर्मार्थ ट्रस्ट, हिंडोन, राजस्थान,2004) में इस मुक्ति संग्राम में आर्य समाज के योगदान का विस्तृत विवरण है। श्री शंकर रामचंद्र उपाख्य मामा राव दाते द्वारा लिखित पुस्तक 'भागानगर स्ट्रगल:ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ द मूवमेंट लेड बाय हिंदू महासभा इन हैदराबाद स्टेट 1938-1939' (काल प्रकाशन,पुणे, 1940) में हिंदू महासभा के योगदान की जानकारी है।स्टेट कांग्रेस के योगदान का विवरण तो अनेक पुस्तकों में उपलब्ध है।

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