‘आनंदमठ’ हिन्दुओं की संघर्षगाथा
बंकिम बाबू रचित "आनंदमठ" बंगाल के दुर्भिक्ष और आक्रांता राज के शोषण के कालखंड की सत्यकथा है, जिसे अक्सर लोग "संन्यासी विद्रोह" कहकर भी पुकारते हैं; मगर मेरी दृष्टि में यह संन्यासी आंदोलन या विद्रोह नहीं था बल्कि यह कालखंड "संन्यासी जागरण" था। जिसमें जाग्रत सन्यासियों ने अपने तेज से बाकी समाज…