पत्राचार और सहकारी गोंद

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लाला मनसुखदास ने आज आते ही ते से वक्तव्य झाड़ दिया। बोले- ‘सर’! आजकल पत्र लिख्खा बेवकूफी है। मैं उनसे सहगत होते हुए बोला ‘अब पत्र लिखता ही कौन है!’

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