चौपाल की चहल-पहल और सूनापन
मैं बुन्देलखण्ड के एक गांव की चौपाल हूं। यहां की स्थानीय बोली में चौपाल को ‘अथाई’ कहते हैं जो शायद ‘अस्थायी’ का अपभ्रंश है, क्योंकि यहां की चहल-पहल अस्थायी और अनियमित रहती है। यहां कुछ भी पहले से निश्चित नहीं होता। लोग अनायास एक