इस हिंसा के असली दोषी
ये जानते थे कि लाल किला तीनों स्थलों के निर्धारित मार्गो में कहीं नहीं आता था। भारी संख्या में लोग लालकिले तक पहुंचे। वहां अंदर घुस कर किस ढंग से खालसा पंथ का झंडा लगाया गया, किस तरह पुलिसवाले घायल हुए, कैसे लोगों को मारा पीटा गया, तलवारें भांजी गई यह सब देश ने देखा।