‘श्रद्धा’ अत्यंत समाजोपयोगी तत्व

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संपूर्ण जीवन प्रवाह एवं उसकी उपलब्धियाँ वस्तुतः 'श्रद्धा' की ही परिणति है । माँ अपना अभिन्न अंग मानकर नौ माह तक अपने गर्भ में बच्चे का सेचन करती है । अपने रक्त मांस को काटकर शिशु को पोषण प्रदान करती है । 'श्रद्धा' का यह उत्कृष्ट स्वरूप है जिसका बीजारोपण…

आज भी राम-फ्रकल्फ के रंग में रंगे हैं सुहास बहुलकर

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वरिष्ठ चित्रकार सुहास बहुलकर से इन दिनों बात करें तो वे चित्रकूट और रामदर्शन-फ्रकल्फ की ही बात करेंगे। हालांकि उनका वह एसाइनमेंट कब का फूरा हो चुका है फर आज भी उनकी मन चित्रकूट और राम मेंं ही रमा हुआ है।

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