‘श्रद्धा’ अत्यंत समाजोपयोगी तत्व
संपूर्ण जीवन प्रवाह एवं उसकी उपलब्धियाँ वस्तुतः 'श्रद्धा' की ही परिणति है । माँ अपना अभिन्न अंग मानकर नौ माह तक अपने गर्भ में बच्चे का सेचन करती है । अपने रक्त मांस को काटकर शिशु को पोषण प्रदान करती है । 'श्रद्धा' का यह उत्कृष्ट स्वरूप है जिसका बीजारोपण…