शत्रु का परिदृश्य

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वह हमारा आपका शत्रु ही ।और वह देश सभ्यता मिट जाती हैं जिन्हें अपने शत्रुओं की पहचान नहीं होती । ध्यान दें मैं यहाँ राग द्वेष की बात नहीं कर रहा । सायनाइड से आप द्वेष नहीं करते पर आपको पता है चाटते ही मर जाएँगे ।

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