सामाजिक प्रगति के लिए धर्म बुद्धि आवश्यक

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मनुष्य हाड़-मांस का पुतला, एक तुच्छ प्राणी मात्र है, उसमें न कुछ विशेषता है न न्यूनता । उच्च भावनाओं के आधार पर वह देवता बन जाता है, तुच्छ विचारों के कारण वह पशु दिखाई पड़ता है और निकृष्ट "पापबुद्धि" को अपना कर वह असुर एवं पिशाच बन जाता है ।…

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