‘गुलाबी गैंग’ की मर्दानगी
अंधकार मानव के जीवन में कई रूपों में आता है। कभी-कभी यह अंधेरा इतना घना होता है कि इसे मिटाने के लिये दीप नहीं मशाल की आवश्यकता महसूस होने लगती है। बुंदेलखंड में सन 1962 की दीपावली को जन्मीं संपत पाल ने अपने जीवन को एक ऐसी ही मशाल बनाया। इस मशाल ने न सिर्फ अपने बल्कि अन्य कई महिलाओं के जीवन का अंधेरा दूर किया।