सफलता पुरुषार्थ के मूल्य पर मिलती है
यदि हम स्वास्थ्य, शिक्षा, संपन्नता, सम्मान, सफलता से वंचित रहते हैं तो इसके लिए दूसरों को दोष देना व्यर्थ है। गहराई से उन कारणों को तलाश करना चाहिए जिनके द्वारा विपन्नता विनिर्मित होती है । आलस्य, प्रमाद, उपेक्षा, उदासीनता, आवारागर्दी जैसे दुर्गुणों में लोग अपनी अधिकांश शक्तियाँ नष्ट करते रहते…