हिन्दी बने राष्ट्र भाषा    

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इसमें कोई दो मत नहीं है कि स्वतंत्रता के लगभग साढ़े सात दशक बाद भी देश की अपनी राष्ट्र भाषा नहीं है। जब देश का एक राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीक है। यहां तक कि राष्ट्रीय पशु-पक्षी भी एक है, तो ऐसे में महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि देश की अपनी राष्ट्र भाषा क्यों नहीं होनी चाहिए? भारतीय भाषाओं को अंग्रेजी की पिछलग्गू भाषा के रूप में क्यों बने रहना चाहिए? इस पर विचार किया जाना चाहिए। देशहित में हिन्दी को न्यायपालिका से लेकर कार्यपालिका की भाषा बनाया जाना चाहिए।

उद्योगपति प्रशांत कारुलकर की विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से सदिच्छा भेंट

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मुंबई के प्रसिद्ध उद्योगपति एवं कारुलकर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रशांत कारुलकर ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से सदिच्छा भेंट कर हिंदी विवेक प्रकाशित ‘कर्मयोद्धा’ नरेंद्र मोदी ग्रंथ प्रदान किया.

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