समाज में एकत्व भाव का निर्माण ही है समाजिक समरसता

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सामाजिक समरसता समाज के भीतर रहने वाले तमाम जन समुदायों के बीच एकत्व निर्माण की एक आदर्श स्थिति है, जिस समरस समाज की अवधारणा को प्रभु राम ने बताया जिसमें वे कहते है“ समाज का निर्माण व्यक्ति-व्यक्ति के भीतर परस्पर “एक होने” के भाव एवं समता, बंधुत्व के विचार पर…

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