कंचन चन्द्र स्त्री-विमर्श की चित्रकार हैं
राजधानी की बहुचर्चित चित्रकार कंचन चन्द्र का कहना है कि ‘कला सामाजिक स्थितियों से उत्पन्न होती है। कला का सर्जक और उसकी कृति-दोनों समाज की शक्तियों से बंधे होते हैं, जो कि कला का स्वरूप गढ़ने के लिए उत्तरदायी होती है। मुझ पर भी यही नियम लागू होता है।’