आत्मरक्षा में भी बने आत्मनिर्भर
बात उन दिनों की है जब बिहार एक तथाकथित गरीबों के मसीहा बने महाडकैत की मुट्ठी में था,सभी तरह के अपराधी चाहे वे छोटेमोटे पॉकेटमार, अपहरणकर्ता हों या नक्सली संगठन जैसे संगठित समूह,, निर्भीक निश्चिन्त और अनियंत्रित थे।पूर्वजों द्वारा बनाये भव्य सुविधासम्पन्न घर के होते हमारे परिजन गाँव छोड़कर शहरों…