जयंती: धनपत राय से बने मुंशी प्रेमचंद्र

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मुंशी प्रेमचंद एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही मन में हजारों कहानियां मन में घूमने लगती है, सैकड़ों किताबें याद आने लगती है। एक सफल लेखक, शिक्षक, कुशल वक्ता, संपादक और उपन्यास सम्राट जैसे कई गुणों से भरपूर थे अपने मुंशी जी। उनके लेखन का दौर करीब 1880 से लेकर 1936…

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