गुजर गया पार्श्व गायन का स्वर्णिम दौर
एक जमाना था जब गायकों की आवाज और लहजा अभिनेता से एकदम मेल खाता था परंतु आज के समय में ऐसा बिलकुल नहीं है। शायद यही कारण है कि आज के गानों की उम्र भी बहुत कम रह गई है। गायकों की भूमिका पार्श्वगायन से हटकर पृष्ठभूमि गायन तक ही सिमट कर रह गई है।