सौंदर्य, कला व प्रतिभा की प्रतिमूर्ति मधुबाला

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जब भी हम कभी बीते समय की फिल्मी नायिकाओं की सुंदरता की बात करते हैं, तब बरबस ही मधुबाला का नाम आ जाता है। मधुबाला का आकर्षक मनभावन चेहरा, बोलती आंखें, नैन नक्श, जैसे दर्शकों के दिलों दिमाग में छा सा जाता था। उस दौर में हर प्रेमी अपनी प्रेमिका…

गुजर गया पार्श्व गायन का स्वर्णिम दौर

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एक जमाना था जब गायकों की आवाज और लहजा अभिनेता से एकदम मेल खाता था परंतु आज के समय में ऐसा बिलकुल नहीं है। शायद यही कारण है कि आज के गानों की उम्र भी बहुत कम रह गई है। गायकों की भूमिका पार्श्वगायन से हटकर पृष्ठभूमि गायन तक ही सिमट कर रह गई है।

सिनेमा और वायु सेना की साझी उड़ान

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हम देखते हैं कि रजतपट के रंगीन होने के बाद सिनेमा ने भारतीय वायु सेना को भी अपने बहुविध विषयों की माला के मनके के रूप में शामिल किया है। सिनेमा और वायु सेना के साझे सफर की यह उड़ान आगे चलकर कहां तक पहुंचेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

के. एल. सहगल: पार्श्व गायन का पहला सितारा

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गायकों की दो पीढ़ियों के आदर्श सहगल को याद करना संगीत के एक ऐसे सेनानी को याद करना है, जिसके द्वारा कला की रेत पर छोड़े गए निशानों को आज भी हर पारखी देखता है, निहारता है और उस पर आगे चलने की युक्ति करता है।

सिनेमा में कॉमेडी- ये कहां आ गए हम!

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‘सहज हास्य’ से ‘असहज हास्य’ और वहां से ‘अश्लीलता’ और वहीं से ‘फूहड़ता’ और फिर उसके नीचे ‘असहनीयता’ की ओर ढलान की यात्रा कर रहे हास्य के इस दौर में कोई सोच भी नहीं सकता कि कभी हिंदी सिनेमा में हास्य की सहज-सरस-निर्मल धारा बहा करती थी।

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों…

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देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत फिल्मी गानों की एक लंबी श्रृंखला है। एक-एक गीत के निर्माण में हमारे गीतकारों, संगीतकारों, गायक-गायिकाओं और वादकों ने जितनी मेहनत की है उसी का यह सुपरिणाम है कि एक-एक गीत सोना उगलता जान पड़ता है।

रेशम की डोरी से संसार बांधा है

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राखी के ये गीत हमें एक ऐसी दुनिया में ले जाते हैं, जहां रिश्तों में ऊष्मा है, आत्मीयता है, अपनापन है, जीवन में छोटी छोटी खुशियां तलाशने की ललक है, अपनों से मिलने की आकांक्षा और न मिल पाने का दर्द है।

बिजली गिरा के आप खुद, बिजली से डर गए

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शम्मी कपूर एक ऐसा सितारा है, जिसे जिस पीढ़ी ने भी देखा, अपने मन में बसा लिया। शम्मी कपूर के हर पीढ़ी के चहेते होने में सबसे बड़ी भूमिका उनकी संगीत के साथ अलौकिक संगत की थी।

ऐसी रिमझिम में ओ सजन

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साधना पर फिल्माए ये दो गीत- तुम बिन सजन और बरखा बहार आई- हिन्दी सिनेमा और बरसात की युति की उत्कृष्ट देन है, जिन्हें आनेवाली पीढ़ियां सुनती रहेंगी, गुनती रहेंगी और गुनगुनाती रहेंगी।

बारिश में ही-मैन और काका

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भले धर्मेंद्र की पहचान एक ही-मैन के रूप में रही हो और राजेश खन्ना रूमानी सितारे माने जाते हों, बरसात में भीगे गीतों के मामले में तो ही-मैन ने ही बाजी मारी है।

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