मराठी के बाद उठी उर्दू बोर्ड की मांग

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हम किसी दुकान को उसके नाम से ही पहचानते हैं लेकिन उस दुकान का नाम किस भाषा में लिखा हुआ है हमें उससे कोई सरोकार नहीं होता है और होना भी नहीं चाहिए क्योंकि अलग अलग राज्यों की अपनी भाषा होती है और सभी को अपनी भाषा का इस्तेमाल करने…

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