हिमालय क्षेत्र में प्रकृति संरक्षण एवं आपदा प्रबंधन

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पहाड़ी क्षेत्रों में बादल का फटना एवं भूस्खलन एक साधारण घटना है, लेकिन केदारनाथ क्षेत्र में इतनी बड़ी आपदा पहली बार हुई है। इसी तरह से बादल का फटना, भूस्खलन, नदी की धारा बाधित होना, अल्पकालिक झील का निर्माण, झील का ध्वस्त होना एवं त्वरित बाढ़ का आना एवं अवसाद के अपवहित होने की घटना पर गंगोत्री हिमनदीय क्षेत्र में शोध अध्ययन किए गए हैं।

राजनीतिक सामाजिक हालातों की चिंताजनक कहानी

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राज्य गठन के बाद उत्तराखंड को अटल सरकार ने दस साल के लिए औद्योगिक पैकेज दिया था। इसके तहत राज्य के मैदानी इलाकों में इंडस्ट्री तो आयी लेकिन पैकेज सब्सिडी अवधि खत्म होने के बाद उत्पादन ठप्प कर दिया। नतीजतन स्थानीय युवकों को रोजगार के संकट से गुजरना पड़ा और भू माफियाओं की दखलंदाजी बढ़ने से कृषि योग्य भूमि भी घटती चली गई।

रसातल की ओर जाती राजनीति

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इससे पहले पीएम मोदी और शरद पवार की अलग-अलग मुद्दों को लेकर कई बार मुलाकात भी हो चुकी है। जिसके बाद दोनों नेताओ एक दूसरे की तारीफ भी की थी लेकिन फिलहाल हवा का रुख बदला-बदला सा नजर आ रहा है

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